उपभोक्ताओं के लिए नए आविष्कारों में उनको सुनना जरूरी: मनु शर्मा
सैमसंग इंडिया में सीनियर डायरेक्टर मनु शर्मा खाना बनाने के बहुत शौकीन हैं और इस समय घर पर रहते हुए उन्हें रसोई में समय बिताने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। अभी बीते सप्ताहांत ही उन्होंने अपने परिजनों के लिए लहसुन, मक्खन, लेमनग्रास, पार्सले और थाइम के साथ स्वादिष्ट झींगे का व्यंजन तैयार किया। खास बात यह है कि इसमें इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर सामग्रियां स्वयं उन्हीं के घरेलू बागीचे से आई थीं।
निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में उनकी पाक कला और निखरेगी क्योंकि उन्होंने हाल ही में एक मास्टरक्लास भी ज्वाइन कर लिया है, जिसमें उन्हें गॉर्डन रामसे और मसिमो बोट्टुरा जैसे दिग्गजों से रसोई की बारीकियां सीखने को मिलेंगी।
सैमसंग में ‘मेक फॉर इंडिया’ के लिए काम करने वाली अपनी टीम के लिए भी उनकी सलाह कुछ ऐसी ही है, “यह समय कुछ नए कौशल सीखने का है। कुछ ऐसा जिसे आप लंबे समय से वक्त की कमी के कारण टालते रहे हों।”
‘मेक फॉर इंडिया’ की शुरुआत 2014-15 में हुई थी, जिसका उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं की रुचियों और मांगों को समझना और फिर उसके आधार पर भारत में बेंगलुरु, नोएडा और दिल्ली स्थित सैमसंग के तीनों अनुसंधान केंद्रों से सैमसंग के उत्पादों के माध्यम से सार्थक समाधान प्रस्तुत करना है।
नतीजाः ऐसे आविष्कार सामने आए जिन्हें उपभोक्ताओं ने पसंद किया और जिन्होंने उनकी जिंदगियों को बेहतर बनाया।
सैमसंग के अलग-अलग विभाग के लोगों से तैयार मेक फॉर इंडिया कार्यबल के प्रमुख मनु ने कहा, “हमारे पास भारत में सब कुछ था – मैन्युफैक्चरिंग, आरएंडडी, सेल्स, मार्केटिंग। हमने सोचा कि हम इन सबको एक साथ लाकर भारतीय उपभोक्ताओं को बेहतर समझ सकते हैं।” उन्होंने कहा, “उपभोक्ताओं की अंतर्दृष्टि और विचार कहीं से भी आ सकते हैं।”
‘मेक फॉर इंडिया’ के तहत हुए सबसे शुरुआती आविष्कारों में अल्ट्रा डेटा सेविंग मोड (यूडीएस) शामिल था, जिसकी मदद से मोबाइल डेटा पर नियंत्रण उपभोक्ताओं के हाथ में आ सका और जिसके कारण उनके खर्च में कमी आई। यह वो समय था, जब भारत में डेटा की कीमत बहुत अधिक हुआ करती थी।
जब एस-बाइक मॉडल लॉन्च हुआ, उस समय सैमसंग ने सुरक्षा के लिहाज से उपभोक्ताओं के सामने मौजूद एक अन्य समस्या पर ध्यान केंद्रित किया।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय उपभोक्ताओं और उनकी प्राथमिकताओं में आमूलचूल बदलाव आया है। यह मूलभूत बदलाव गेमिंग और मनोरंजन के लिए डेटा के इस्तेमाल में आई भारी बढ़ोतरी से संबंधित है, जिसमें डेटा की कम होती कीमतों ने अहम भूमिका निभाई है।
डेटा के इस नए दौर में तस्वीरों को सोशल नेटवर्किंग साइटों पर जल्दी से जल्दी साझा करने के लिए बेचैन ’80 और ’90 के दशकों में पैदा होने वाली पीढ़ी (मिलेनियल्स) और जेनरेशन जेड के तौर पर जानी जाने वाली इक्कीसवीं सदी की पैदाइश युवा पीढ़ियों के लिए सोशल कैमरा अस्तित्व में आया।
भारत में सैमसंग के आरएंडडी केंद्रों में विकसित ‘चैट ओवर वीडियो’ फीचर ने जमकर वीडियो देखने के शौकीन जेनरेशन जेड और मिलेनियल्स को बिना किसी अवरोध के निरंतर वीडियो देखते हुए चैट का आनंद लेने की सुविधा दी।
उन्होंने कहा, “आज डेटा के अलावा सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक इंटेलिजेंस भी है। अब कई तरह के इंटेलिजेंस तैयार किए जा रहे हैं… कैमरा से लेकर वॉयस तक, और कई अन्य पहलुओं में भी। सबसे बड़ी बात है कि स्मार्टफोन ग्राहकों के साथ सीखने में और उनकी समस्याओं को सुलझा सकने में कितना समर्थ हो पा रहे हैं?”
कोरिया के बाहर सैमसंग के सबसे बड़े आरएंडडी केंद्र बेंगलुरु के सैमसंग शोध संस्थान ने पिछले साल सैमसंग के इंटेलिजेंट कैमरे के लिए ‘सीन ऑप्टिमाइजर’ विकसित किया जो कि अपने आप पता लगा सकता है कि फ्रेम में क्या है और उसी के मुताबिक अपने को समायोजित कर खूबसूरत तस्वीरें खींचने में आपकी मदद कर सकता है। यह 32 विधाओं में से एक्सपोजर, कॉन्ट्रास्ट, ह्वाइट बैलेंस और कई चीजें स्वयं समायोजित कर लेता है।
इंटेलिजेंस से संबंधित ‘मेक फॉर इंडिया’ आविष्कारों में सबसे हालिया अलाइव इंटेलिजेंस है, जो पिछले साल के शुरू में गैलेक्सी ए71 के साथ सामने आया।
भारत में व्यापक ग्राहक शोध के आधार पर यूजफुल कार्ड्स, बहुभाषिक टाइपिंग, फाइंडर और स्मार्ट क्रॉप जैसे अलाइव इंटेलिजेंस फीचर डिजाइन किए गये ताकि इक्कीसवीं सदी में पैदा होने वाली पीढ़ी यानी जेनरेशन जेड को तेज और व्यवस्थित जीवन जीने में मदद मिल सके।
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मनु ने कहा, “हम डिवाइस के इंटेलिजेंस और भविष्य में वे दूसरों के साथ मिलकर कैसे सहूलियत के साथ काम कर सकेंगे, इस पर काफी मेहनत कर रहे हैं।”
फिलहाल मौजूदा हालात में टीम ने एक बहुत साधारण सा दिखने वाला आविष्कार किया है, जिसकी ग्राहकों के व्यवहार में आ रहे बदलाव को देखते हुए काफी आवश्यकता महसूस की जा रही थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मौजूदा महामारी को रोकने के लिए जिन उपायों की सिफारिश की है, उनमें एक नियमित अंतराल पर साबुन से हाथ धोते रहना है। प्रोफेशनल स्वास्थ्यकर्मियों के मुताबिक, इस उपाय के प्रभावी होने के लिए जरूरी है कि कम से कम 20 सेकेंड तक लगातार हाथ धोया जाए।
इसलिए सैमसंग शोध संस्थान बेंगलुरु में कार्यरत डिजाइनरों और डेवलपरों के एक छोटे से समूह ने गैलेक्स वॉच के लिए एक वीयरेबल ऐप तैयार किया है जो उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक उपायों में से एक, अपने हाथ धोते रहने के लिए याद दिलाता रहता है।
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