[एक हरा-भरा गैलेक्सी] ① स्मार्टफोन चार्जर, जिनके लिए धरती की चिंता सबसे पहले
आजकल मोबाइल डिवाइस हर बनावट और आकार में आ सकते हैं, लेकिन एक बात उन सबमें एक समान होती हैः सबको चार्ज करने की जरूरत होती है।
जी हां, चाहे ये कितने भी ताकतवर बन चुके हैं, लेकिन अब भी ज्यादातर मोबाइल डिवाइसेज को रोज चार्ज किए जाने की आवश्यकता है। इस रोज-रोज के कर्मकांड को हमारी धरती के लिए एक मुसीबत बनने से रोकने के लिए, सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने पिछले कई दशकों के दौरान अपनी चार्जर टेक्नोलॉजी को इस तरह तराशा है कि यह पूरी प्रक्रिया यथासंभव पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बने। इसमें न केवल पावर-सेव करने वाली कई तकनीकों को प्राथमिकता के आधार पर इस्तेमाल किया गया है, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया के दौरान हानिकारक साबित हो सकने वाले पदार्थों के इस्तेमाल को कम करना भी शामिल है।
इस विश्वास के तहत कि हमारी रोजाना की जिंदगी में थोड़ा सा फेरबदल कर देने से पर्यावरण को बड़े फायदे हो सकते हैं, सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स मोबाइल कम्युनिकेशंस बिजनेस लगातार दुनिया को ज्यादा हरा-भरा बनाने के उपाय खोजता रहता है। आइए नजर डालते हैं कि किस तरह यह टीम स्मार्टफोन की चार्जिंग टेक्नोलॉजी को पुनर्परिभाषित कर रही है।
स्टैंडबाई मसले का समाधान
जहां कई लोग सोचते हैं कि प्लग में लगे हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और अप्लायंसेज स्विच ऑफ होते ही बिजली की खपत बंद कर देते हैं, वहीं सच्चाई यह है कि वे महज स्टैंडबाई मोड में चले जाते हैं ताकि फिर से स्विच ऑन किए जाते ही अपना काम शुरू कर सकें।
यही बात हमारे मोबाइल डिवाइस चार्जर पर भी लागू होती है। एक बार जब आप अपने डिवाइस को डिस्कनेक्ट करते हैं, आपका चार्जर उसके बाद भी ठीक-ठाक मात्रा में बिजली की खपत करता रहता है, तब तक जब तक आप इसे प्लग से बाहर न निकाल लें या फिर पावर स्ट्रिप को बंद न कर दें।
स्टैंडबाई पावर की खपत बिजली की बरबादी के कारणों में प्रमुख मानी जाती है। साल 2012 में इस मसले को हल करने की एक कोशिश में सैमसंग ने अपने अग्रगण्य गैलेक्सी डिवाइस के चार्जर में स्टैंडबाई बिजली की खपत को 20mW1 तक कम करने में सफलता पाई। उसके बाद के वर्षों में कंपनी ने अपने तमाम उत्पादों के लिए चार्जरों के निर्माण में पर्यावरण के लिए अपनी संवेदनशीलता के इस विस्तार को लागू किया।2
मोबाइल कम्युनिकेशंस बिजनेस के पावर सॉल्यूशन ग्रुप के एक सदस्य इंजीनियर वॉनसियोक कांग ने टेक्नोलॉजी के उद्देश्य और इसके फायदों को संक्षेप में बताते हुए कहा, “एक स्मार्टफोन को बिजली के स्रोत से जुड़ते ही पावर की सप्लाई मिलने लगे, यह सुनिश्चित करने के लिए एक चार्जर को हमेशा ‘दौड़ते’ रहना चाहिए।” कांग ने कहा, “अतीत में हम सीधे-सीधे चार्जर को बिना रेगुलेशन के सक्रिय अवस्था में रखते थे। अब, हमने चार्जर में ऐसे सॉफ्टवेयर लगा दिए हैं, जो डिवाइस को प्लग से निकाले जाने के बाद इसे सुला देते हैं- जिससे बिजली की खपत पर्यावरण के लिहाज से बेहतर वोल्टेज स्तर तक पहुंच जाती है- और फिर जैसे ही डिवाइस कनेक्ट किया जाता है, वह चार्जर को जगा देता है। यह एक तरह से ऊर्जा का ज्यादा सक्षम चक्र तैयार करने जैसा है।”
क्षमता ही सबकुछ है
स्टैंडबाई में बिजली की खपत जैसे ही चार्जिंग की दक्षता भी एक अहम कारक है इस बात को मापने का कि कोई चार्जिंग टेक्नोलॉजी पर्यावरण के प्रति कितनी संवेदनशील है। बिलकुल आदर्श स्थितियों में एक चार्जर जितनी बिजली ग्रहण करता है, उसका सौ फीसदी आउटपुट देता है और 100 प्रतिशत ऊर्जा दक्षता हासिल करता है। गैलेक्सी स्मार्टफोन के चार्जर की ऊर्जा दक्षता 80 प्रतिशत से ज्यादा है, जो यूरोपीय संघ के लेवल VI ErP (ऊर्जा-संबंधित उत्पाद) प्रमाणीकरण को पूरा करते हैं।
सैमसंग के डेवलपरों ने अपने चार्जरों की ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की और उसमें मौजूद छोटे से छोटे उपकरण का भी विश्लेषण किया ताकि उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके। कांग ने कहा, “हमने मुख्य रूप से सेमीकंडक्टर के सर्किट में सुधार करने पर ध्यान लगाया जो ऊर्जा को कंवर्ट करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। आखिर में हम ऊर्जा की बरबादी को न्यूनतम स्तर पर लाकर कुल बिजली चार्ज को कम कर सके।”
ऊर्जा दक्षता को एक स्तर पर बरकरार रखने की प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण थी। कांग ने समझाते हुए कहा, “जैसे-जैसे मोबाइल डिवाइसेज का विकास हो रहा है और बैटरी की क्षमता बढ़ रही है, वैसे-वैसे चार्जरों की विशेषताएं बढ़ना भी स्वाभाविक है।” उन्होंने कहा, “15 वॉट से 25, फिर 45 और उससे भी ज्यादा, उच्चतर विशेषताएं बेहतर कार्यक्षमता की दरकार रखती हैं। यह अनिवार्य रूप से औसत ऊर्जा दक्षता में कमी लाती हैं। फिर भी सबसे ज्यादा संभावित ऊर्जा दक्षता वाला चार्जर तैयार करने की हमारी प्रतिबद्धता हमें उसी तरह की उच्च विशेषताओं के साथ कार्य दक्षता का उच्च स्तर उपलब्ध कराने में समर्थ बनाती है।”
गैलेक्सी स्मार्टफोन चार्जरों की पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता ने पर्यावरण को लाभ भी पहुंचाया है और 2014 से अब तक लगभग 1.3 करोड़ किलोवॉट बिजली बचाई जा सकी है। यह पांच पनबिजली परियोजनाओं के उत्पादन के लगभग बराबर है!3
प्लास्टिक बचाइए, धरती बचाइए
आज की दुनिया प्लास्टिक से इतना भर चुकी है कि वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के अनुमान के मुताबिक 2050 तक समुद्रों में मौजूद प्लास्टिक कचरे का वजन इनमें मौजूद मछलियों की तुलना में ज्यादा होगा। प्रदूषण से निपटने के लिए और हमारे ग्रह को बचाने के लिए सैमसंग ने अपने आविष्कारों को ज्यादा टिकाऊ बनाने का संकल्प किया है, जिसके तहत स्मार्टफोन का चार्जर बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों में रिसाइकल्ड चीजों की मात्रा बढ़ाना शामिल है।
गैलेक्सी स्मार्टफोन चार्जरों में एक हिस्से का उत्पादन पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पोस्ट-कंज्यूमर मटेरियल (पीसीएम) का इस्तेमाल कर किया जाता है।4 पहले इस्तेमाल किए जा चुके संसाधनों को रिसाइकल कर तैयार किए गये पीसीएम, प्लास्टिक उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले संभावित हानिकारक पदार्थों की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं। साल 2019 तक लगभग 5000 टन पीसीएम का इस्तेमाल गैलेक्सी स्मार्टफोन के चार्जर बनाने में किया जा चुका है।
सैमसंग के डेवलपरों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की कि चार्जर में पीसीएम इस्तेमाल करने से अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता न हो। सैमसंग के एडवांस्ड सीएमएफ लैब से कांग के सहकर्मी और साथी इंजीनियर प्राणवीर सिंह राठौर ने कहा, “पीसीएम इस्तेमाल करने से किसी उत्पाद के टिकाऊपन या उसके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। लेकिन कई कोशिशों के बाद हम ऐसी डिजाइन तैयार कर सके जो मूल विशेषताओं को सुरक्षित रखते हुए भी न केवल देखने में भी अच्छे हैं, बल्कि संतोषजनक रूप से टिकाऊ भी हैं।”
क्योंकि उनमें सीधे बिजली का करंट आता है, इसलिए चार्जर गर्मी के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं और इसीलिए उन्हें पर्याप्त आग रोधी होना चाहिए। जैसा कि राठौर बताते हैं, “एक साथ रिसाइकल्ड चीजों को इस्तेमाल में प्राथमिकता देना और आग-रोधी मानकों को संतोषजनक स्तर तक पूरा करना एक चुनौती थी। फिर भी, अलग-अलग कई विभागों के साथ मिलकर हम एक ऐसा तरीका खोज पाने में सफल हुए जिससे उत्पाद की क्वालिटी बढ़ सके और उस मटेरियल की अपनी भौतिक विशेषताएं भी खराब न हों।”
“मौजूदा कानूनी मानकों के परे जाकर ऐसे उत्पादों को डिजाइन करना जो पर्यावरण का भी ख्याल रख सकें कभी आसान नहीं होता है – खास तौर पर जब दूसरी कंपनियां ऐसा नहीं कर रही हों,” राठौर ने आगे कहा। “इसके बावजूद मुझे पूरा भरोसा है कि सैमसंग की कोशिशें आने वाले समय में पर्यावरण के अनुकूल की जाने वाले पहलों में सकारात्मक भूमिका निभाएंगी।”
अपने सहकर्मी की ही भांति कांग भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील मोबाइल उपकरणों का भविष्य काफी उज्जवल मानते हैं। कांग ने कहा, “स्मार्टफोन चार्जर की बिजली खपत जैसी बातों को लेकर बढ़ती जागरूकता आगे चल कर उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा दक्षता को मोबाइल खरीदने के फैसले में एक महत्वपूर्ण कारक बना सकती है।”
और जिन लोगों को जीवनशैली में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के लिहाज से बदलाव कठिन और असुविधाजनक लग रहा है, उन्हें सैमसंग पुनर्विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है और उम्मीद करता है कि इस तरह की कोशिशें आपको प्रोत्साहित करेंगी ताकि आप दुनिया को ज्यादा हरी-भरी जगह बनाने में अपने हिस्से की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित हो सकें।
1 15W और 25W के गैलेक्सी स्मार्टफोन चार्जरों के आधार पर
2 20mW चार्जरों की उपलब्धता बाजार के राष्ट्रीय ऊर्जा मानक और नीतियों के आधार पर अलग–अलग हो सकती है
3 साल 2014 से 2019 के बीच 15W और 25W गैलेक्सी स्मार्ट फोन के 54 करोड़ चार्जर बिके, जिन्होंने 35 करोड़ किलोवॉट घंटे (kWh) की बचत की (यूरोप की ErP के 100mW लेवल VI स्टैंडर्ड और यूनाइटेड स्टेट्स के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी की तुलना में), जो कि 4.5 पनबिजली पावर प्लांट (1.3 करोड़ kWh-क्लास) के सम्मिलित बिजली उत्पादन के बराबर है।
4 गैलेक्सी स्मार्टफोन चार्जर फिलहाल औसतन लगभग 20% पीसीएम का इस्तेमाल कर बनाए जाते हैं। सैमसंग द्वारा अपने डिवाइस में रिसाइकल्ड चीजों के इस्तेमाल को बढ़ाने के तरीके तलाशना जारी है।
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