[एडिटोरियल] इंसानी आंखों को चुनौतीः सैमसंग की सेंसर तकनीक खोल रही संभावनाओं के नए द्वार

22-04-2020
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योंगिन पार्क, ईवीपी, सेंसर बिजनेस सिस्टम के प्रमुख, सिस्टम एलएसआई बिजनेस

दिन भर तस्वीरें खींचते रहना और वीडियो बनाना हमारी आज की जिंदगी में आम बात हो गई है। अब शायद ही कोई इनके लिए खास मौकों का इंतजार करता है। चाहे दिल खुश कर देने वाले किसी व्यंजन को हमेशा के लिए आंखों में समेट लेना हो या फिर आपके लेटेस्ट डांस मूव्स की यादों को सहेजना या फिर किसी दिन बालों के बढ़िया स्टाइल को फिक्स करना हो, बस अपना मोबाइल कैमरा निकालिए और चंद क्लिक में आप तैयार हैं इन लमहों को अपने दोस्तों के साथ साझा करने के लिए। ये बेहतरीन अनुभव संभव हो पाए हैं मोबाइल फोटोग्राफी के क्षेत्र में हुई हाल की उल्लेखनीय प्रगति से और इस क्रांति के केंद्र में वह मोबाइल चिप है, जो प्रकाश को डिजिटल डेटा में बदल देता है। इसी चिप को इमेज सेंसर कहते हैं।

 

हम जिस इमेज सेंसर से पूरी दुनिया को देखते हैं, यानी हमारी आंखें, वे करीब 500 मेगापिक्सेल (एमपी) के रिजॉल्यूशन के बराबर होती हैं। आज के दौर में ज्यादातर डीएसएलआर कैमरे जो 40 एमपी का और अग्रणी स्मार्टफोन मॉडल जो 12 एमपी का रिजॉल्यूशन देते हैं, उनसे तुलना करने पर स्पष्ट है कि मानव दृष्टि की क्षमताओं के समान स्तर पर पहुंचने के लिए एक उद्योग के तौर पर हमें अभी लंबी दूरी तय करनी है।

 

आसान भाषा में कहा जाए तो एक सेंसर में जितने संभव हों, उतने पिक्सेल एक साथ रख देना एक आसान हल समझ में आता है, लेकिन ऐसा करने पर उस इमेज सेंसर का आकार पूरे कैमरे या स्मार्टफोन के आकार से भी बड़ा हो जाएगा। आज के स्मार्टफोन, जिनमें स्क्रीन-बॉडी के उच्च अनुपात और पतले डिजाइन जैसी अत्याधुनिक विशेषताएं होती हैं, में करोड़ों पिक्सेल फिट करने के लिए जरूरी है कि वे पिक्सेल एक साथ सिमट कर एक सेंसर को जितना संभव हो, उतना कॉम्पैक्ट बना सकें।

 

दूसरी तरफ, छोटे पिक्सेल से भद्दी और बदरंग किस्म की तस्वीरें आ सकती हैं क्योंकि इनमें हर पिक्सेल द्वारा प्राप्त की गई प्रकाश की प्रॉपर्टी हासिल करने वाला क्षेत्र बहुत कम होता है। एक सेंसर में जितने पिक्सेल होते हैं और उन पिक्सेल का जो आकार होता है, इनके बीच अधिकतम संतुलन तैयार करना एक ऐसी आवश्यकता है जिसके लिए सुदृढ़ तकनीकी क्षमता की जरूरत होती है।

अत्याधुनिक पिक्सेल तकनीक

 

तकनीक के क्षेत्र में अपनी अगुवाई और कारोबार के लंबे इतिहास से पैदा होने वाले अनुभवों का लाभ उठाते हुए सैमसंग ने अपने इमेज सेंसर में यह संतुलन कायम करने में सफलता हासिल की है। मई 2019 में हमने मोबाइल उद्योग में पहली बार 64 एमपी सेंसर के इस्तेमाल की घोषणा की थी और महज 6 महीनों के बाद हमने 108 एमपी का सेंसर बाजार में उतारा।

 

हमारे आधुनिकतम 108 एमपी के इमेज सेंसर आइसोसेल ब्राइट एचएम1 के लिए हमने अपनी खास ‘नोनासेल तकनीक’ का प्रयोग किया। यह तकनीक पिक्सेल की प्रकाश को अवशोषित करने की क्षमता को नाटकीय ढंग से बढ़ा देती है। पिछली टेट्रासेल तकनीक के मुकाबले, जो 2×2 की कतार में चलती थी, नोनासेल तकनीक में 3×3 पिक्सेल का ढांचा होता है जो, उदाहरण के लिए 0.8 माइक्रोमीटर के 9 पिक्सेल को 2.4 माइक्रोमीटर के 1 पिक्सेल के बराबर काम करने लायक बना देती है। इसके कारण कम प्रकाश की स्थिति में लो-लाइट सेटिंग से पैदा होने वाली समस्याएं भी कम हो जाती हैं।

 

2019 में सैमसंग पहली कंपनी थी जिसने 0.7 माइक्रोमीटर पिक्सेल पर आधारित इमेज सेंसर का इस्तेमाल शुरू किया था। इससे पहले तक मोबाइल उद्योग का मानना था कि पिक्सेल को 0.8 माइक्रोमीटर से छोटा करना संभव नहीं है। लेकिन हमारे इंजीनियरों के लिए ‘तकनीकी चुनौती’ महज एक और चुनौती भर है जो उन्हें इन्नोवेशन के लिए प्रेरित करती है।

हमारी अनुभूतियों से परे पहुंचने वाले सेंसर

 

आज के दौर में ज्यादातर कैमरे 450 और 750 नैनोमीटर (एनएम) के बीच की लंबाई वाले तरंगदैर्घ्य पर सिर्फ वही तस्वीरें ले सकते हैं जिन्हें इंसानी आंखों से देखा जा सकता है। इस दायरे से बाहर की प्रकाश तरंगों को पकड़ सकने वाले सेंसर तैयार कर पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन उनका इस्तेमाल कई क्षेत्रों में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए, पराबैंगनी (अल्ट्रावॉयलेट) किरणों को पकड़ने में सक्षम सेंसर स्वस्थ और कैंसरयुक्त कोशिकाओं को अलग-अलग रंगों में दर्शाने वाली तस्वीरें खींच कर स्किन कैंसर का पता लगाने में उपयोगी साबित हो सकते हैं। इसी तरह कृषि और अन्य उद्योगों में सक्षम गुणवत्ता नियंत्रण के लिए अवरक्त (इंफ्रारेड) इमेज सेंसर तैयार किये जा सकते हैं। भविष्य में कभी हम ऐसे सेंसर तैयार करने में भी सफल हो सकते हैं जिनसे वे माइक्रोब देखे जा सकें, जिन्हें खुली आंखों से देख पाना संभव नहीं।

 

हम न केवल इमेज सेंसर विकसित कर रहे हैं, बल्कि ऐसे अन्य प्रकार के सेंसर तैयार करने पर भी काम कर रहे हैं, जो गंध और स्वाद का पता कर सकें। ऐसे सेंसर जो मानव अनुभूतियों के परे जा सकें, जल्द ही हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाएंगे और अज्ञात को ज्ञात बनाने वाले और हमारी अपनी इंद्रियों की क्षमताओं से परे जाकर लोगों की मदद करने वाले ऐसे सेंसरों के होने से संभावनाओं का जो द्वार खुलेगा, उसे लेकर हम बहुत रोमांचित हैं।

सबके लिए 600 एमपी पाने का लक्ष्य

 

आज की तारीख तक इमेज सेंसर के सभी प्रमुख उपयोग स्मार्टफोन के क्षेत्र में ही रहे हैं, लेकिन जल्दी ही इसके ऑटोनोमस वाहनों, आईओटी और ड्रोन जैसे तेजी से उभरते क्षेत्रों में भी फैलने की संभावना है। सैमसंग को गर्व है कि वह छोटे-पिक्सेल और उच्च-रिजॉल्यूशन वाले सेंसरों की धारा का नेतृत्व कर रहा है और 2020 तथा उसके बाद भी यह रुझान बरकरार रहेगा। इतना ही नहीं, सैमसंग डिवाइस बनाने वालों की अलग-अलग जरूरतों के लिहाज से एक विस्तृत प्रोडक्ट पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए तकनीकी आविष्कारों के अगले दौर की अगुवाई करने के लिए भी पूरी तरह तैयार है। लगातार इन्नोवेशन के जरिए हम पिक्सेल तकनीक में अंतहीन संभावनाओं को खोलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसका नतीजा ऐसे इमेज सेंसर भी हो सकते हैं जो सामने वाली वस्तु में इंसानी आंखों से भी बारीक ब्योरे पकड़ सकें।

 

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