कैसे सैमसंग DOST बना गुजरात के युवाओं का सच्चा साथी

अशोक, फैजान और प्रियांशु (L-R)
गुजरात की रौनक भरी गलियों और दूर-दराज़ कस्बों में इन दिनों आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और बदलते सपनों की कहानी लिखी जा रही है। यह कहानी मोबाइल रिटेल स्टोर्स, ट्रेनिंग क्लासरूम और उन घरों में जन्म ले रही है जहाँ कभी सपनों को किनारे रख दिया जाता था। इस बदलाव के केंद्र में है सैमसंग DOST—एक ऐसी पहल जिसने युवाओं को रोज़गार के लिए तैयार करने और उनके भीतर छिपी संभावनाओं को उजागर करने का संकल्प लिया है।
सैमसंग DOST युवाओं को इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेल की दुनिया में काम करने का हुनर सिखाता है। इसमें ग्राहक से संवाद करना, प्रोडक्ट समझाना, इन्वेंटरी संभालना और आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहना जैसी कई अहम बातें शामिल हैं। पर असल मायने में यह कार्यक्रम युवाओं को केवल कौशल ही नहीं देता, बल्कि आत्मविश्वास और गरिमा से जीने का हौसला भी देता है।
सूरत की ही मिसाल लें, जो हीरे और कपड़े के लिए मशहूर है। अब यह शहर हुनरमंद रिटेल प्रोफेशनल्स भी तैयार कर रहा है। यहाँ अशोक, फैज़ान और प्रियांशु जैसे युवा पहले संकोच में रहते थे। अशोक शांत स्वभाव का था, लेकिन ग्राहकों से बात करने में हिचकता था। फैज़ान, जो स्कूल से अभी-अभी निकला था, काम तो करना चाहता था पर बातचीत आगे बढ़ाने का आत्मविश्वास नहीं था। प्रियांशु में मेहनत की कोई कमी नहीं थी, पर वह नहीं जानता था कि अपनी ऊर्जा को सही दिशा में कैसे लगाए। इसी तरह, मंडवी के रामज़ान अली की कहानी भी अलग थी। घर की सारी ज़िम्मेदारी उसके कंधों पर थी, लेकिन आगे बढ़ने के लिए उसके पास ज़रूरी साधन और कौशल नहीं थे।
यहीं पर सैमसंग DOST उनके जीवन का मोड़ साबित हुआ। 120 घंटे का यह प्रशिक्षण सिर्फ़ रिटेल स्किल्स सिखाने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा सफ़र बन गया जिसने उनकी पहचान बदल दी। इन युवाओं ने सीखा कि ग्राहकों को केवल खरीदार न समझें, बल्कि उन्हें एक रिश्ते की तरह देखें। उन्होंने सुना, समझा, और साफ़-साफ़ बोलना सीखा। समस्याओं का समाधान ढूँढना सीखा। और सबसे बढ़कर, उन्होंने यह जाना कि उनकी सोच मायने रखती है और उनकी मौजूदगी किसी भी माहौल में पेशेवराना ढंग से महसूस की जा सकती है।
आज अशोक जय भैरूनाथ मोबाइल में काम करता है और परिवार का सहारा है। फैज़ान सैमसंग एक्सपीरियंस स्टोर में ग्राहकों को सहज महसूस कराता है। प्रियांशु राजस्थान मोबाइल्स में न केवल बेहतर काम कर रहा है बल्कि नए कर्मचारियों की मदद भी करता है। और मंडवी का रामज़ान, जो कभी चुपचाप रहने वाला लड़का था, आज ज़मज़म मोबाइल्स में सबसे भरोसेमंद प्रोफेशनल बन चुका है। उसकी कामयाबी देखकर उसके पिता, आज गर्व से कहते हैं कि मेहनत और अवसर साथ आएं तो ज़िंदगी सचमुच बदल जाती है।
ये कहानियाँ हमें बताती हैं कि भारत के युवाओं में न तो सपनों की कमी है और न ही मेहनत की। उन्हें बस एक मंच और थोड़े भरोसे की ज़रूरत है। सैमसंग DOST जैसे कार्यक्रम उन्हें वही मंच और भरोसा देते हैं। यह पहल केवल रोज़गार और शिक्षा का सहारा नहीं है, बल्कि युवाओं को यह एहसास कराती है कि वे भी बड़े सपने देख सकते हैं और उन्हें पूरा करने का साहस रखते हैं।
जब युवाओं को सही साधन और भरोसा मिलता है, तो वे केवल नौकरियाँ नहीं करते, बल्कि बदलाव की बागडोर अपने हाथ में लेते हैं और भविष्य की दिशा तय करते हैं। यही असली ताक़त है सैमसंग DOST की—एक ऐसा साथी जो सचमुच युवाओं का सच्चा दोस्त बन गया है।
दूरसंचार क्षेत्र कौशल परिषद (TSSC) और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र कौशल परिषद (ESSCI), राष्ट्रीय कौशल परिषदें हैं जो युवाओं को दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में नौकरियों के लिए तैयार करने पर केंद्रित हैं। ये ज़रूरतों के अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करती हैं और पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उम्मीदवारों को प्रमाणित करती हैं। इनका उद्देश्य युवाओं को आज के बाज़ार के लिए सही कौशल के साथ नौकरी के लिए तैयार करना है।
प्रशिक्षण भागीदारों के रूप में, TSSC और ESSCI इस कार्यक्रम के तहत कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों के मार्गदर्शन और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पाठ्यक्रम तैयार करते हैं, विशेषज्ञ प्रशिक्षक प्रदान करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रतिभागियों को व्यावहारिक शिक्षा के साथ-साथ मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र भी प्राप्त हों। इस सहायता के माध्यम से, ये युवाओं को दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में बेहतर नौकरियों और करियर के अवसरों को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास और कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।
कॉरपोरेट > कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व
ग्राहक सेवा से संबंधित शिकायतों के लिए, samsung.com/in/support पर जाएं।
मीडिया से जुड़ी जानकारी के लिए, कृपया संपर्क करें corpcommindia@samsung.com