[कोविड योद्धा] कोयंबटूर की सड़कों पर गरीबों के दिल जीत रहा है सैमसंग का एक दयालु पार्टनर

31-05-2021
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मैं जिंदगी में कुछ अच्छा करना चाहता था, कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे मैं दूसरों की भी मदद कर सकूं। और मैं अपनी जड़ों को, उन दिनों को कभी नहीं भूलता।”

एएम सम्सू अली जानते हैं कि बेघर होना यानी सड़क पर जिंदगी बिताना और खाने के लिए मोहताज होना क्या होता है। बचपन में उन्होंने भी अपनी और परिवार की गुजर-बसर में हाथ बंटाने के लिए छोटा-मोटा काम करते कई दिन सड़क पर गुजारे थे। और कई रात उन्हें खाली पेट ही सोना पड़ा था।

 

कड़ी मेहनत और लगन से सम्सू ने खुद को संभाला और एक कामयाब कारोबार खड़ा कर लिया। आज वह कोयंबटूर में चेन्नई मोबाइल्स रिटेल श्रृंखला के मालिक हैं मगर बचपन के वे अनुभव हमेशा उन्हें याद रहते हैं।

 

शायद यही वजह है कि सैमसंग के इस पार्टनर और चेन्नई मोबाइल्स में उसकी टीम ने 2020 और 2021 में लॉकडाउन के दिनों में रोजाना करीब 800 जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने का बीड़ा हाथ में उठाया है।

 

सम्सू कहते हैं, “काम पर नहीं जाना और उसके बजाय स्कूल जाना मेरे लिए मुमकिन नहीं था। लेकिन मैं मुश्किलों की वजह से हिम्मत भी नहीं हार सकता था। मैं जिंदगी में कुछ अच्छा करना चाहता था, कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे मैं दूसरों की भी मदद कर सकूं। और मैं अपनी जड़ों को, उन दिनों को कभी नहीं भूलता।”

 

सड़क से उठकर तमिलनाडु की सबसे बड़ी मोबाइल रिटेल श्रृंखलाओं में से एक खड़ी करना वाकई बड़ी बात है। (बिजनेस टीम ने इस बात की पड़ताल की है)

 

सैमसंग का देश के हरेक कोने में फैले 2 लाख से भी अधिक रिटेल पार्टनरों का नेटवर्क है और उनमें से कई ने 2020 और अब 2021 में महामारी के दौरान परोपकार का शानदार काम किया है। उन्होंने भोजन, ऑक्सीजन सिलिंडर, कंसंट्रेटर, दवाएं मुहैया कराकर और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर अस्पताल के बेड तक लगवाकर अपने आसपास के लोगों की मदद की है। हमें अपने पार्टनर्स पर बहुत गर्व है।

 

“मैं वही खाना बांटता हूं, जो मैं खाता हूं”

 

सम्सू कहते हैं कि उनके रसोइये रोजाना 700-800 लोगों के लिए खाना बनाते हैं और उस समय मास्क पहनने तथा नियमित सैनिटाइजेशन करने समेत सभी एहतियात बरतते हैं। गुणवत्ता और सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है।

 

वह बताते हैं, “मेरे रसोइये सुनिश्चित करते हैं कि खाने में बिरयानी, कर्ड राइस, दाल, चपाती या इडली-सांभर आदि शामिल हों।” शाकाहारियों की पसंद ध्यान में रखते हुए उनके लिए भोजन अलग से बनाया जाता है।

 

खुद सम्सू को भी कुछ अरसा पहले कोविड-19 हो गया था मगर उनका हौसला कम नहीं हुआ। उनकी रसोई में चूल्हा जलता रहा और ठीक होते ही वह एक बार फिर सड़क पर उतर गए।

 

तैयार भोजन के साथ ही सम्सू बेघर लोगों को राशन और आर्थिक मदद भी देते हैं।

 

“जब आप अच्छा काम करते हैं तो दूसरे खुद ही आपके साथ आ जाते हैं”

 

चेन्नई मोबाइल्स के उनके कर्मचारियों में से करीब 40 अपनी इच्छा से इस पहल का हिस्सा बन गए हैं और लोगों की मदद के लिए बिना थके काम कर रहे हैं। भोजन पहुंचाने के लिए एक स्थानीय एनजीओ भी उनके साथ काम कर रहा है।

 

रोज सुबह तैयार भोजन लेकर चार लोग एक वैन में रवाना हो जाते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि कोयंबटूर में प्रभावित इलाकों में से अधिक से अधिक इलाकों तक पहुंच सकें।

 

सम्सू कहते हैं, “यह महामारी हो या कोई और दुर्भाग्यपूर्ण आपदा हो, यह टीम जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा खड़ी रहेगी।”

 

“तो, उनका इनाम क्या है?”

 

सम्सू कहते हैं, “भोजन मिलने पर कई लोग भावुक हो जाते हैं और आंखों में आंसू लिए हमें शुक्रिया कहते हैं। हमारा सबसे बड़ा इनाम वास्तव में यही है कि हमारे साथ उन्हें सुरक्षित लगता है, उन्हें लगता है कि कोई उनका ख्याल रख रहा है।”

 

“मुझे पता है कि बेबस होना और परिवार के लिए खाने का इंतजाम नहीं कर पाना कैसा होता है। मैं उनके दर्द को महसूस कर सकता हूं और उनकी खुशी को भी।”

 

ऐसी कहानियां सैमसंग में हमें प्रेरणा देती हैं। साथ संपन्नता हासिल करने (को-प्रॉस्पैरिटी) की सैमसंग की केंद्रीय भावना सचमुच इसी तरह साकार होती है। हम उन्हें यह काम लगातार जारी रखने की शुभकामना देते हैं।

 

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