[बातचीत] नियो क्यूलेड 8के टीवी के अल्ट्रा-स्लिम फ्रेम में दमदार साउंड तकनीक डालने पर इंजीनियरों की चर्चा

21-05-2021
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बरसात की एक रात में एक परिवार हॉरर मूवी देखने के लिए अपने लिविंग रूम में बैठता है। एक बड़े कंबल में एक साथ घुसे वे लोग सोफे को टीवी के और करीब खिसका लेते हैं ताकि डर का ज्यादा से ज्यादा अहसास हो। फिल्म में इससे ज्यादा खो जाने के लिए वे और क्या कर सकते हैं?

 

सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने अपनी नियो क्यूलेड 8के सीरीज के साउंड सिस्टम को इतने खूबसूरत तरीके से तराशा कि यूजर्स अपने बड़े टीवी की ऑडियो क्वालिटी का पूरा फायदा उठा सकते हैं। फ्लैगशिप डिस्प्ले इस तरह डिजाइन किए गए कि उन्हें जिस जगह रखा गया है, उसके आकार को और रखे जाने के तरीके को वे अच्छी तरह से भांप सकते हैं और उसी के हिसाब से आवाज की एकदम सटीक सेटिंग कर सकते हैं। टीवी उस जानकारी का इस्तेमाल अपने आठ स्पीकरों से एकदम वास्तविक और स्क्रीन पर हो रही हलचल के हिसाब से बदलती (ऑब्जेक्ट-ट्रैकिंग) साउंड निकालने के लिए करता है। अगर ऊपर बताई गई स्थिति हो यानी पूरा परिवार रात में एक साथ फिल्म देख रहा हो तो उनका मोटा कंबल जो भी आवाज सोखेगा, उसकी भरपाई टीवी के स्पीकर कर देंगे और परिवार के स्क्रीन के नजदीक बैठने पर थ्री-डी साउंड को कोनों से बीचोबीच तक एक जैसा फैलाएंगे।

 

सैमसंग के सबसे नए टीवी किस तरह यह भांपकर आवाज को कस्टमाइज कर देते हैं कि यूजर्स ने स्क्रीन किस जगह रखी है और किस तरह आवाज होम एंटरटेनमेंट को और भी तल्लीन करने वाला बनाने का जरिया हो गई है, यह समझने के लिए सैमसंग न्यूजरूम डिस्प्ले तैयार करने वाले कुछ डेवलपर्स के साथ बैठा।

 


▲ (बाएं से) सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के विजुअल डिस्प्ले बिजनेस के इंजीनियर जोंगबे किम, सुंगजू किम और सुनमिन किम।

स्पेसफिट साउंड सेटिंग्स को एकदम सटीक बनाने के लिए रोज करता है जगह का विश्लेषण

आज ज्यादा यूजर्स दिन के अलग-अलग वक्त पर पहले से ज्यादा जगहों मसलन लिविंग रूम, कामकाज की जगह पर, शयन कक्ष, छत आदि पर बैठकर या लेटकर टीवी देखते हैं। इस तरह देखने की हमारी आदतें बदल रही हैं। अब ज्यादा यूजर्स देखने के अपने अनुभव को अपने आसपास के माहौल के हिसाब से ढाल रहे हैं यानी कस्टमाइज कर रहे हैं। इसे ध्यान में रखकर डेवलपर्स ने ऐसी तकनीक तैयार करने पर जोर दिया, जो यूजर्स के टीवी देखने के माहौल को खुद ही परख ले और सुनिश्चित करे कि उन्हें हमेशा सबसे उम्दा आवाज का आनंद मिले। नतीजा है स्पेसफिट, ऐसा फीचर, जो दिन में एक बार जांचता है कि आपकी रहने की जगह में कोई बदलाव तो नहीं हुआ है और उसी के हिसाब से साउंड सेटिंग्स बदल देता है।

 

यह कैसे काम करता है? सबसे पहले टीवी में मौजूद माइक्रोफोन उन वस्तुओं को पहचानता है, जो आवाज पर असर डाल सकते हैं जैसे पर्दे, कालीन और दीवारें। मान लीजिए कि टीवी किसी व्यक्ति के लिविंग रूम में रखा है, जहां एक कालीन भी है, जो मिड-टु-हाई रेंज की साउंड सोख सकता है। उस सूरत में स्पेसफिट साउंड सेटिंग्स को इस तरह बदलेगा कि मिड-टु-हाई रेंज की साउंड खुद-ब-खुद उसके हिसाब से बढ़ जाए। स्टैंड, वॉल हैंगिंग और दूसरी वस्तुएं बदली जाएं या न बदली जाएं, यह फीचर उसी तरह काम करता है। यदि टीवी को दीवार के नजदीक लाया जाता है तो डिस्प्ले के पीछे की जगह कम हो जाती है, जिससे कम फ्रीक्वेंसी वाली साउंड पर असर पड़ सकता है। ऐसे में स्पेसफिट की वजह से टीवी इस बदलाव को पकड़ लेता है और अधिक साफ साउंड देने के लिए अपनी सेटिंग्स को पहले ही बदल लेता है।

 

खास बात यह है कि यह सब खुद-ब-खुद होता है। इंजीनियर सुनमिन किम समझाते हैं, “स्पेसफिट एक ऑटोमेटेड फंक्शन है, जिसके लिए यूजर्स को बटन दबाने तक की जरूरत नहीं पड़ती और डिवाइस आवाज को परखने के लिए ‘टेस्टिंग’ साउंड भी नहीं पैदा करता। इसे ऑन या ऑफ करने भर से टीवी उस कंटेंट की आवाज के आधार पर माहौल को भांप लेता है, जो कंटेंट वास्तव में यूजर इस्तेमाल कर रहा होता है। इसलिए आपको कुछ नहीं करना है। बस स्क्रीन पर चल रहे कंटेंट का मजा लीजिए।”

 

उद्योग में पहली बार आई यह तकनीक बेशुमार डेटा और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीकों पर आधारित इनोवेशन्स के कारण संभव हो पाई है। टीम ने टीवी देखने की जगह पर आवाज को सोखने वाले इलाकों, जिन्हें साउंड इंजीनियरिंग में डेड रूम्स कहा जाता है से लेकर आवाज को वापस फेंकने वाली जगहों तक हर स्थिति को ध्यान में रखा।

 

सुनमिन किन ने कहा, “चूंकि ढेर सारे पहलुओं का ध्यान रखना था, इसलिए हमने काफी व्यापक लर्निंग डेटाबेस तैयार किया और मशीन लर्निंग तकनीक के जरिये उसका विश्लेषण किया। सैमसंग की तैयार की हुई एआई तकनीकें यहीं काम आईं।” उन्होंने कहा कि यह फीचर “ऐसे लगभग सभी स्थानों में काम कर सकता है, जहां टीवी रखा जा सकता है।”

ओटीएस प्रो स्क्रीन के सभी कोनों से 3डी साउंड देने के लिए करता है आठ स्पीकरों का इस्तेमाल

कंटेंट में साउंड चैनल्स की व्यापक रेंज का इस्तेमाल होने लगा है और उस सामग्री का लुत्फ उठाने के यूजर्स के पसंदीदा तरीके भी बदल रहे हैं। होम एंटरटेनमेंट में विस्तार हो रहा है और बड़ी स्क्रीन तथा फिल्म जैसे तल्लीन कर देने वाले फॉर्मैट के साथ मल्टी-चैनल सोर्स की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, जिसके साथ कई लोगों के लिए एक साथ एक ही कंटेंट देखना भी आम बात होती जा रही है। इसे हासिल करने के लिए स्वीट स्पॉट – यानी जिस जगह से यूजर्स स्क्रीन के बाहरी किनारों पर भी सटीक साउंड का मजा ले सकें – का विस्तार करना ही असली कुंजी है। जैसे-जैसे कंटेंट में विविधता बढ़ती जा रही है और स्क्रीन भी बड़ी होती जा रही है, वैसे-वैसे ही साउंड को भी इस तरह बदलना चाहिए जिससे यूजर्स के आनंद में इजाफा हो सके।

 

ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग साउंड (ओटीएस) साउंड तकनीक टीवी के मल्टी-चैनल स्पीकर्स का इस्तेमाल कर स्क्रीन पर चल रही वस्तु की हरकतों पर नजर रखती है और सैमसंग को यूजर्स का आनंद अगले स्तर तक ले जाने देती है। नियो क्यूलेड 8के में तकनीक का और भी उन्नत रूप ओटीएस प्रो मौजूद है। इसमें पहले से मौजूद छह स्पीकरों में दो स्पीकर और जुड़कर कुल आठ स्पीकर हो जाते हैं। जब स्क्रीन पर मौजूद वस्तु चलती है तो गति का अहसास कराने के लिए सटीक जगह पर मौजूद स्पीकर आवाज पैदा करता है, जो दर्शकों को स्क्रीन पर दिख रहे दृश्य में घुल जाती है। तल्लीन कर देने वाला साउंड सेटअप बाएं और दाएं स्टीरियो अनुभव तथा 3डी प्रभाव को और भी बेहतर बनाता है, जिससे यूजर को लगता है कि वह स्क्रीन पर चल रहे दृश्य में ही मौजूद है और उसका फिल्म देखने का अनुभव कई गुना बढ़ जाता है।

 

इंजीनियर जोंगबे किम ने कहा, “अक्सर बड़ी स्क्रीन पर कंटेंट देखते समय दोनों ओर से टीवी देख रहे दर्शकों को लगता है कि स्क्रीन के मध्य से निकल रही आवाज केवल एक ओर से आती महसूस हो रही है। यही वजह है कि हमने बीच के (सेंटर) स्पीकर को बाएं और दाएं छोर के बीच में लगाया है। हाल ही में जोड़ा गया सेंटर स्पीकर और ओटीएस प्रो आवाज को स्क्रीन के बीचोबीच इकट्ठा करते हैं, आवाज को अधिक स्पष्ट बनाते हैं और आवाज को बिना खराब किए उसकी स्थिति ज्यादा अच्छी तरह स्पष्ट करते हैं।”

 

यदि स्पीकर वाकई में टीवी के बीच में फिट किया जाता तो वह डिजाइन कॉन्सेप्ट को बिगाड़ सकता था। डेवलपर्स ने डिवाइस के पीछे वेव गाइड के साथ एक ट्वीटर लगाकर इस समस्या का समाधान निकाल लिया। इंजीनियर सुंगजू किम ने कहा, “यदि स्पीकर को पीछे लगाते तो आवाज चारों दिशाओं में फैलती और दीवार से टकराकर वापस आती, जिससे आवाज कम साफ लगती। हमें ऐसी तकनीक की जरूरत थी, जो आवाज को टीवी के सामने बैठे दर्शकों की ओर खींचे। होल एरे तकनीक का इस्तेमाल कर हम सुनिश्चित कर पाए कि आवाज ट्वीटर से डिस्प्ले के आगे की ओर ही आए।”

 

साउंड में संतुलन बिठाने का टीम का प्रयास सैमसंग के अगली पीढ़ी के माइक्रो एलईडी डिस्प्ले में भी आजमाया गया। चूंकि इस बड़ी स्क्रीन का नीचे का हिस्सा यूजर्स के लिविंग रूम के फर्श के एकदम करीब पहुंच जाता है, इसलिए यदि यूजर्स अपने डिस्प्ले को मल्टी-कंपोनेंट होम थिएटर सेटअप से जोड़ते हैं तो सेंटर स्पीकर के लिए शायद जगह ही नहीं बन पाएगी।

 

जोंगबे किम ने कहा, “110 इंच माइक्रो एलईडी लाइनअप में माइक्रो-सिंफनी फंक्शन है, जिसकी मदद से आप बिल्ट-इन-स्पीकर को सेंट्रल स्पीकर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आपको अपने होम एंटरटेनमेंट सिस्टम के लिए अलग से सेंटर स्पीकर का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता क्योंकि माइक्रो एलईडी का मल्टी-चैनल स्पीकर यह काम बखूबी कर लेता है। चूंकि साउंड स्क्रीन के बीच से आती है, इसलिए साउंड तथा तस्वीर बेमेल नहीं लगतीं और यूजर सिनेमा जैसे अनुभव का आनंद लेता है।”

अल्ट्रा-स्लिम डिजाइन के हरेक हिस्से का इस्तेमाल

सैमसंग के टीवी डिजाइन की एक अनूठी विशेषता इनफिनिटी स्क्रीन है, जिसमें बीजल यानी स्क्रीन के किनारे बहुत मुश्किल से दिखाई देते हैं और टीवी का अनुभव कई गुना ज्यादा हो जाता है। इसके कारण डेवलपर्स के सामने अनूठी चुनौती खड़ी हो गई और उन्हें पतले से डिवाइस में कई स्पीकर लगाने का सर्वोत्तम तरीका ढूंढना पड़ा।

 

सुनजोंग किम ने कहा, “अतीत में लो फ्रीक्वेंसी साउंड को वूफर स्पीकर के भीतर से बाहर लाने के लिए नली या डक्ट जैसा ढांचा इस्तेमाल किया जाता था। इस तरह की डिजाइन में हवा की बाधा के कारण अनचाहा शोर भी आ सकता है। इसलिए 8के मॉडलों के लिए हमने ‘पैसिव रेडिएटर’ अपनाने का फैसला किया, जिससे हमें बेहतरीन लो पिच साउंड पैदा करने में मदद मिली। इससे हमें स्लिम यानी पतले से टीवी के भीतर मौजूद मामूली जगह का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का मौका तो मिली ही, बेहतरीन और एकदम साफ आवाज भी मिली।”

 

उन्होंने कहा, “वूफर के डायाफ्राम और पैसिव रेडिएटर को टीवी के पीछे लाने से नियो क्यूलेड की आवाज का प्रदर्शन दिलचस्प और सहज तरीके से सामने आता है।”4

 

यह तो नियो क्यूलेड टीवी की डिजाइन में इस्तेमाल हुए कई इनोवेटिव और नए फीचर्स में से केवल एक है। पैनल को ज्यादा से ज्यादा पतला रखने के लिए बुनियादी काम वाले पुर्जों को एकदम नई भूमिका दी गई हैं। जोंगबे किम ने कहा, “हमने टीवी के पिछले यानी रियर कवर के एक हिस्से का इस्तेमाल आवाज में काम आने वाले (अकूस्टिक) पुर्जे के तौर पर किया, जो आवाज की दिशा को किनारों तक ले जाता है। हमने रियर कवर के भीतर सेंटर ट्वीटर से नीचे तक मौजूद रहने वाले तथा गर्मी बाहर निकालने वाले ‘स्लिट वेंट’ को नए तरीके से डिजाइन किया ताकि आवाज की दिशा पर नियंत्रण कर बेहतर आवाज सुनाई जा सके। हमने हरेक हिस्से का यथासंभव ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया यानी डिजाइन में कोई भी तत्व किसी खास मकसद के बगैर नहीं है।”

उम्दा, सजीव आवाज

आवाज का बेहतर प्रदर्शन प्रदान करने के लिए डेवलपर्स ने यूजर्स द्वारा देखे जा रहे कंटेंट को गहराई से समझने में भी बहुत मेहनत की है। उदाहरण के लिए, खेल से जुड़ी सामग्री का विश्लेषण करते समय वे भीड़ की आवाज लाने यानी रीप्रोड्यूस करने पर जोर देते हैं और संगीत में वे एकदम सधी हुई साउंड स्टेज तैयार करने की कोशिश करते हैं। फिल्मों के लिए वे लगातार विश्लेषण करते रहते हैं ताकि संवाद स्क्रीन के मध्य से ही आएं।

 

सुनमिन किम ने कहा, “स्पीकर का स्वरूप बदलने के साथ ही अपमिक्सिंग ज्यादा अहम हो रही है। इनपुट चैनलों में विविधता आ रही है और स्पीकर की औसत संख्या भी छह से आठ हो रही है, जिस कारण इनपुट और आउटपुट के अनगिनत कॉम्बिनेशन आ गए हैं।”

 

“मान लीजिए कि आप टू-चैनल कंटेंट का आनंद ले रहे हैं। यहां आठों स्पीकरों से अंधाधुंध सिग्नल भेजने के बजाय कंटेंट की मिक्सिंग की विशेषताएं समझना और हरेक सिग्नल को अलग से भेजना जरूरी है। सैमसंग की अनूठी तकनीक एआई पर आधारित सटीक अल्गोरिदम का इस्तेमाल कर इसे संभव बनाती है।”

 

सैमसंग टीवी 15 वर्ष से वैश्विक बाजार को चला रहे हैं और कंपनी के पास अभी तक जुटा यूजर डेटा अनमोल संपत्ति है। चूंकि दुनिया भर में अनगिनत परिवार सैमसंग के टीवी इस्तेमाल करते हैं, इसलिए कंपनी के डिस्प्ले हर जगह मौजूद होने के कारण यह सोचने का मौका मिलता है कि आगे क्या करना है। सुंगजू किम इशारा करते हैं कि सैमसंग आगे क्या लाने जा रही है। उन्होंने कहा, “हम व्यवस्थित तरीके से गहरी समझ का नेटवर्क तैयार कर रहे हैं, जो बेशुमार डेटा पर आधारित होगा। इसके अलावा हम वैश्विक स्तर पर अगुआ के रूप में अपना सिक्का मजबूती से जमाने जा रहे हैं, जिसके लिए सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के विदेश में स्थित एआई अनुसंधान केंद्रों के साथ उन तकनीकों पर चर्चा चल रही है, जिनकी निकट भविष्य से लेकर लंबे समय में जरूरत पड़ सकती है।”

 

कंटेंट की लगातार आती बाढ़ के बीच डेवलपर्स सैमसंग टीवी में आवाज का ऐसा अनुभव देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो असली आवाज के एकदम करीब हो।

 

स्क्रीन बड़ी हो रही हैं, डिजाइन पतली होती जा रही है और कंटेंट में विविधता आती जा रही है। इन बदलावों के साथ कदमताल करते हुए तीनों विमाओं (थ्री-डी) में स्पीकर चैनल बढ़ाने और उन चैनलों को एक दूसरे से बेहतर तालमेल बिठाने में मदद करने के लिए अपनी एआई तकनीकों को और भी उन्नत बनाने से हम अधिक से अधिक सजीव आवाज दे सकेंगे। इससे आखिरकार हम ऐसे युग में पहुंच सकते हैं, जहां आपको साउंड सेटिंग्स सही करने के लिए रिमोट की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

 

यूजर्स का देखने का अनुभव अधिक से अधिक बेहतर बनाने के लिए सैमसंग टीवी के और भी इनोवेशन्स का इंतजार कीजिए।

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