मैं इतना खुश हूं कि वापस कॉलेज जाना ही नहीं चाहता: सैमसंग में वर्चुअल इंटर्नशिप कर रहे बी-स्कूल छात्र
एमडीआई गुड़गांव में प्रथम वर्ष के छात्र यशजीत वार्ष्णेय के पिछले कुछ दिन घर पर काम निपटाने और सैमसंग इंडिया के बिजनेस लीडर्स के साथ वर्चुअल बैठकों में हिस्सा लेने में गुजरे हैं। वह सैमसंग इंडिया में समर इंटर्नशिप कर रहे हैं।
वह कहते हैं, “मैं रोजाना नई चीजें और नए दृष्टिकोण पता चलते हैं, जो बिजनेस स्कूल में कभी नहीं मिल सकते। सच कहूं तो यह इंटर्नशिप वर्चुअल है और मेरी किस्मत में अपने कुछ सीनियर्स की तरह दफ्तर के भीतर काम का अनुभव हासिल करना नहीं है मगर पिछले दो हफ्ते बेहद रोमांचक रहे हैं और मुझे नहीं पता कि मैं वापस कॉलेज वाली सामान्य जिंदगी कैसे जी पाऊंगा।”
यशजीत भारत के शीर्ष बी-स्कूल्स से आए उन 34 इंटर्न्स में शामिल हैं, जिन्हें प्रतिष्ठित इग्नाइट (इंस्पायरिंग ग्रोथ एंड नर्चरिंग इंटर्न्स टुवार्ड्स एक्सीलेंस) इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए चुना गया। यह कार्यक्रम कॉर्पोरेट क्षेत्र में प्रतिष्ठा भरा करियर बनाने की तमन्ना रखने वाले युवा बी-स्कूल स्नातकों को शुरुआत करने का मौका देता है।
यह आईआईएम-अहमदाबाद, आईआईएम- लखनऊ, कलकत्ता, बेंगलूरु और कोझिकोड, एक्सएलआरआई जमशेदपुर, एमडीआई गुड़गांव तथा एफएमएस दिल्ली के छात्रों का विविधता भरा समूह है। कोविड शर्तों के अनुसार कर्मचारियों की सुरक्षा के नजरिये से दफ्तर बंद हैं, इसलिए ये युवा छात्र दो महीने लंबे समर (ग्रीष्मकालीन) इंटर्नशिप कार्यक्रम के जरिये अपना हौसला और मनोबल बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
सैमसंग इंडिया में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और मानव संसाधन प्रमुख समीर वधावन कहते हैं, “हमारा मनोबल ऊंचा है। दुर्भाग्य से हम एक साथ नहीं बैठ सकते क्योंकि इस वर्ष भी यह कार्यक्रम वर्चुअल ही है।” वह कहते हैं, “सैमसंग में हम मानते हैं कि इस समूह जैसी युवा प्रतिभा ही डिजिटल इंडिया को ताकत देगी, जो भारत के लिए सैमसंग का सपना है।”
सैमसंग का मानव संसाधन विभाग घरों से भी काम कर रहा है और सबको एकजुट रखना बड़ी चुनौती साबित हुई है मगर उन्होंने सुनिश्चित किया है कि इंटर्न्स अपने सीनियर्स जितने ही या उनसे ज्यादा क्षमतावान होकर लौटें। उन्हें कुछ कमी तो खलेगी मगर जो फायदे मिलेंगे, वे सब पर भारी पड़ेंगे।
पहले देखते हैं कि उन्हें क्या नहीं मिला है: गुरुग्राम में टू हराइजन सेंटर की 24वीं मंजिल पर सैमसंग के आलीशान कॉरपोरेट ऑफिस में उनका पहला प्रवेश और गर्मजोशी से स्वागत, सैमसंग लीडर्स के साथ व्यक्तिगत मुलाकातें, कॉफी पर उनके साथ खुलकर बातचीत, दफ्तर का पहला दोस्त, शानदार ब्रेक आउट एरिया, जिम और कैफेटेरिया में जाना, जहां जितने लजीज व्यंजन मिलते हैं, उतने ही ज्यादा विचार भी मिल जाते हैं। और हां, दफ्तर के बाद होने वाली पार्टियां भी।
लेकिन वर्चुअल ऑफिस में काफी कुछ पहली बार मिलता है पहली क्लाउड मीटिंग, बेशक कई बार बिगड़ते कनेक्शन के साथ, पहली वर्चुअल मुलाकात, पहला वर्चुअल ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन, वर्चुअल बैठकें और नए विचार तलाशने के सेशन। और लगता है कि हमारे इन्टर्न्स इसका भी लुत्फ उठा रहा है।
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सेजल सिन्हा: हैरत की बात है कि वर्चुअल इंटर्नशिप भी इतनी दिलचस्प है कि मुझे ऑफलाइन इंटर्नशिप की कमी ही नहीं खल रही
आईआईएम कोझिकोड से आई सेजल सिन्हा कहती हैं, “मुझे वाकई उम्मीद थी कि मुझे लोगों के साथ मिलकर इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा। मुझे हमेशा नई जगहों, लोगों और संस्कृतियों में दिलचस्पी रही है इसीलिए मैं सैमसंग के दफ्तर जाना और सहकर्मियों से मिलना पसंद करती। मगर वर्चुअल इंटर्नशिप भी उतनी ही दिलचस्प रही है। मुझे यह बात बेहद पसंद आई कि सैमसंग की संस्कृति ने मौजूदा हालात और सामने आई चुनौतियों के बाद भी पूरे अनुभव को इतना जीवंत बनाए रखा है।”
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अनुष्का धवन: मुझे अब भी पूरी तरह यकीन नहीं हुआ है कि मैं ऐसे ब्रांड में इंटर्नशिप कर रही हूं, जो हर तरफ नजर आता है
एक्सएलआरआई की अनुष्का धवन कहती हैं कि उन्हें इंटर्नशिप की सबसे अच्छी बात यह लगी कि जब भी मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है, सबसे वरिष्ठ लीडर भी तुरंत मदद करते हैं।
वह बताती हैं, “हर कोई अपना अनुभव और अपनी राय हमारे साथ साझा करने के लिए तैयार रहा है, जिससे सीखने में हमें वाकई बहुत मजा आया। मुझे अब भी पूरी तरह यकीन नहीं हो रहा कि मैं ऐसे ब्रांड के साथ इंटर्नशिप कर रही हूं, जो हर जगह नजर आता है। सैमसंग करीब-करीब हर भारतीय घर का हिस्सा है।”
आईआईएम कोझिकोड से आई सेजल सिन्हा कहती हैं, “मुझे वाकई उम्मीद थी कि मुझे लोगों के साथ मिलकर इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा। मुझे हमेशा नई जगहों, लोगों और संस्कृतियों में दिलचस्पी रही है इसीलिए मैं सैमसंग के दफ्तर जाना और सहकर्मियों से मिलना पसंद करती। मगर वर्चुअल इंटर्नशिप भी उतनी ही दिलचस्प रही है। मुझे यह बात बेहद पसंद आई कि सैमसंग की संस्कृति ने मौजूदा हालात और सामने आई चुनौतियों के बाद भी पूरे अनुभव को इतना जीवंत बनाए रखा है।”
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