[रीडिस्कवर योरसेल्फ] सैमसंग में रचे-बसे ‘बदलाव’ के आदर्शों को महसूस कर रही है हमारी युवा ब्रिगेड

20-05-2020
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जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू होने लगी हैं और ऑफिस खुलने लगे हैं, सैमसंग इंडिया की उत्साही नई पीढ़ी एक बार फिर तरोताजा मन, मस्तिष्क और जोश के साथ अपने-अपने वर्क स्टेशनों पर लौटने के लिए बेचैन होने लगी है!

 

पिछले 50 दिनों और उससे भी कुछ ज्यादा समय से चल रहा वर्क फ्रॉम होम यानी घर से ही चल रहे ऑफिस के काम ने हमें पेशागत और निजी, दोनों लिहाज से बहुत कुछ सिखाया है और हमने उसमें लगातार नये-नये आयाम भी तलाशे हैं। जैसे कि पॉलिसी टीम के लिए काम करने वाली शैलजा पठानिया ने इस दौरान प्रजेन्टेशन को बेहतर तरीके से समझा पाने का गुर सीखा है और ग्राहक सेवा टीम में कार्यरत हासित मानकोडि ने रोटी की गोलाई को बिलकुल सही रख पाने की चुनौती हल कर ली है।

 

हासित ने कहा, “पिछले कुछ हफ्ते हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं, लेकिन हमारे वरिष्ठों और एचआर टीम के सदस्यों ने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे जोश में कमी न हो और टीम सैमसंग पहले से भी ज्यादा मजबूत संकल्प के साथ अपने नवीन आविष्कारों से लोगों की जिंदगियां बदलने के अपने मिशन में बदस्तूर लगी रहे। घर से ऑफिस का काम करने के इन दिनों में काम और निजी जिंदगी का संतुलन स्थापित करने की हमारी क्षमता का इससे बेहतर परीक्षण दूसरे किसी मौके पर नहीं हो सकता था।”

 

हासित मानकोडि: रोटी की गोलाई को बिलकुल सही रख पाने की चुनौती हल कर ली है

 

हासित को लगता है कि डब्लयूएफएच के इस दौर ने उन्हें पूरी तरह बदल दिया है। उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी सीखों में से एक यही है कि जीवन में कभी किसी चीज के प्रति बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं होना चाहिए, चाहे वह स्वास्थ्य हो, संबंध हों या फिर आर्थिक स्थिति हो। साथ ही उन्हें लगातार नई चीजें सीखने और अपनी क्षमता का विस्तार करते रहने का महत्व भी पता चला है।

 

घर से ऑफिस के काम के दौरान एक तस्वीर जो बार-बार उभरती रही, वह थी वीडियो कॉल के दौरान बच्चों का बीच में कूद आना! ऐसे ही एक दिन, शैलजा के दो साल के बेटे ने एक वीडियो कॉल के दौरान अपने दूध के बोतल के साथ एंट्री मारी थी और मां के बार-बार समझाने के बावजूद फ्रेम से हटने से इंकार कर दिया था। उस दिन पहली बार शैलजा को टीम भावना के महत्व का मतलब समझ आया।

 

“मेरी पूरी टीम ने अपने बीच उस नए नन्हे सदस्य की उपस्थिति का भरपूर आनंद लिया। इसके कारण मैं वैसी स्थिति में भी सहज रह सकी,” शैलजा ने कहा।

 

शैलजा पठानिया: यह घर है, जहां से मैं ऑफिस का काम करती हूं, न कि एक ऑफिस है जहां मैं रहती हूं

 

काम के लंबे घंटों को व्यवस्थित रखने के लिए हफ्ते के हर कार्यदिवस के लिए उन्हें विस्तृत कार्यक्रम का खाका तैयार करना होता था, जिसमें छोटे-छोटे ब्रेक भी होते थे ताकि वह अपने बेटे की जरूरतों का ख्याल रख सकें। “यह एक घर है, जहां से मैं ऑफिस का काम करती हूं, न कि एक ऑफिस है जहां मैं रहती हूं,” उन्होंने कहा। इस मंत्र ने उन्हें न केवल अपने बेटे के लिए समय निकालने में मदद की, बल्कि दो समय का खाना पकाने के लिए भी वक्त दिया। (रात के खाने की जिम्मेदारी पतिदेव के कंधों पर है!)

 

अमित बंसल की दुनिया कुछ अलग ही हो गई है। किस्मत का खेल कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें लॉकडाउन शुरू होने से हफ्ते भर पहले किसी निजी काम से परिवार के साथ इंदौर जाना पड़ा और तब से वह वहीं हैं।

 

अमित बंसल: मैं निश्चित तौर पर घर से काम करते हुए ज्यादा काम कर सका हूं

 

फिलहाल सैमसंग की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स ऑनलाइन टीम का हिस्सा और कंपनी के साथ 11 वर्षों से जुड़े बंसल ने कहा, “मैं निश्चित तौर पर घर से काम करते हुए ज्यादा काम कर सका हूं। हम सबने टीम के साथ मिलकर शानदार तरीके से काम किया है, टीम के सदस्यों की जिंदगियों को बेहतर तरीके से समझा है, और सबको घर और ऑफिस के लिए, अपने समय को अपने तरीके से व्यवस्थित करने में मदद की है।”

 

और काम के बीच ही वह अपने बच्चों के लिए नाश्ते में नए-नए तरह के लजीज पकवान तैयार करने की योजना बनाते हुए उनके साथ फिर से जुड़ने का समय भी निकाल पा रहे हैं। “मैंने वाईओएलओ (योलो) के मंत्र में विश्वास करना शुरू कर दिया है- मतलब यू ओनली लिव वंस यानी आपको केवल एक ही बार जिंदगी मिलती है और मैं अब समय निकाल कर वे सारी चीजें करने की कोशिश कर रहा हूं जो अब तक मुझे छूटती रही हैं, जिनमें फिटनेस के लिए एक निश्चित रूटीन बनाना भी शामिल है,” बंसल ने कहा।

 

वरुण नैवाल, जो वीयरेबल्स टीम का नेतृत्व करते हैं, भी अपने पुराने कुछ शौक को फिर से आजमा रहे हैं। उनके पास पिछले कुछ सालों में जुटाए गए अनेक ग्राफिक नॉवेल पड़े हैं, जो इस दौरान काम में रही व्यस्तता के कारण उनकी नजरों से ओझल रहे। “यह मेरे लिए तनाव दूर करने के लिए शानदार साधन है, फिर भी इसे मैं सबसे बड़ा स्ट्रेस बस्टर नहीं कहूंगा।”

 

उनके लिए सबसे बड़ी स्ट्रेस बस्टर उनकी 3-साल की बिटिया है। “उसके साथ बातें करना तुरंत मुझमें ऊर्जा भर देता है, चाहे वह दिन का कोई भी समय हो।”

 

और माता-पिता, दोनों के घर पर रहने से और आपस में बातें करने से उनकी इस छोटी सी बेटी के बातचीत करने की क्षमता में भी जबर्दस्त सुधार आया है।

 

वरुण नैवाल: सबसे बड़ी स्ट्रेस बस्टर मेरी 3-साल की बिटिया है।

 

डब्ल्यूएफएच से टीमों के बीच आपसी कामकाज को लेकर भी तालमेल बहुत बेहतर हुआ है और सब आपस में एक-दूसरे को जानने लगे हैं। हासित ने कहा कि उन्हें इस दौरान हमारी जिंदगियों में, चाहे पेशागत हो या निजी, दोनों ही स्तरों पर बातचीत के महत्व का अहसास हुआ है। “चाहे टीमों के साथ ई-मेल और कॉन-कॉल पर बात करना हो या फिर टीम का डिटिजल प्लेटफॉर्म के माध्यम से हमारे उपभोक्ताओं के साथ विमर्श करना, सब में एक नया अनुभव है।” बंसल ने जोड़ा, “अब सब एक-दूसरे का पहले से ज्यादा सम्मान करते हैं और एक-दूसरे के समय के प्रति भी ज्यादा संवेदनशील हैं। यह भी एक कारण है कि क्यों हम सबकी कार्यक्षमता पहले से ज्यादा बढ़ी है।”

 

यह एक नया दौर है, लेकिन सबके बाद एकमात्र बदलाव ही है, जो अटल है। और सच पूछा जाए तो यही सैमसंग का मूल आदर्श भी है, जिसे जेनेक्स्ट हर दिन अपनी जिंदगी में महसूस कर रही है।

 

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