सैमसंग इंडिया ने अपने सॉल्व फॉर टुमॉरो इनोवेशन कॉम्पिटिशन के लिए टॉप 10 टीमों की घोषणा की; ये युवा इनोवेटर्स अब 1 करोड़ रुपये की ग्रांट पाने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करेंगे और अपने आइडिया को एक्शन में बदलेंगे!
टॉप 50 टीमों ने विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करने, अपने आइडियाज़ को तराशने और बेहतर रणनीति बनाने के लिए आईआईटी दिल्ली में तीन दिवसीय बूटकैंप में भाग लिया।
टॉप 50 टीम के प्रत्येक सदस्य को ऑनलाइन कोर्सेस के लिए 1 लाख रुपये के वाउचर मिले हैं
सैमसंग जूरी ने ऐसे 10 आइडिया का चयन किया है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लेकर आएंगे; टॉप 10 टीमों को अब अगले स्तर के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा
सैमसंग इंडिया के नेशनल एजुकेशन एंड इनोवेशन कॉम्पिटिशन, ‘सॉल्व फॉर टुमॉरो’ में प्रतिभागी टॉप 50 टीमों के गहन ट्रेनिंग सैशंस और उनकी ओर से पेश किए गए आइडिया को देखने के बाद, आज सैमसंग इंडिया ने आज टॉप 10 टीमों की घोषणा कर दी है। सैमसंग के ’सॉल्व फॉर टुमॉरो’ कॉम्पिटिशन को भारत की Gen Z के बीच इनोवेशन, उद्यमिता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया है।
FITT और सैमसंग द्वारा IIT दिल्ली कैंपस में तीन दिवसीय डिज़ाइन थिंकिंग बूटकैंप एवं पिच इवेंट आयोजित किया गया था। कैंप में कुल 118 प्रतिभागियों ने भाग लिया और सैमसंग जूरी के सामने अपने आइडिया पेश किए।
सैमसंग जूरी ने टॉप 10 टीमों का चयन किया। इन टीमों ने पर्यावरण संरक्षण, पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने, ग्रामीण महिलाओं के लिए मासिक धर्म से जुड़ी हाइजीन और तनाव प्रबंधन जैसे क्षेत्रों के लिए बेहतरीन आइडिया पेश किए।
सॉल्व फॉर टुमारो, सैमसंग की एक सीएसआर पहल है। इसका उद्देश्य युवाओं के बीच इनोवेशन की संस्कृति को बढ़ावा देना और लोगों एवं समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाले आइडिया को प्रोत्साहित करना है। सैमसंग ने इस इनोवेशन कॉम्पिटिशन में भाग लेने के लिए भारत भर के 16 से 22 साल के बच्चों से आवेदन आमंत्रित किए थे। प्रतियोगिता के इस पहले एडिशन के लिए रिकॉर्ड 18,000 से अधिक रजिस्ट्रेशन प्राप्त हुए थे।
टॉप 10 टीमें अब सैमसंग और इसके नॉलेज पार्टनर FITT, IIT दिल्ली के साथ अपने कौशल को और बेहतर बनाएंगी, इसके साथ ही ये टीमें अपने आइडिया में सुधार करेंगी, प्रोटोटाइप तैयार करेंगी, और नवंबर में होने वाले ग्रैंड फिनाले में प्रतिष्ठित जूरी के सामाने अपने इन आइडियाज़ को पेश करेंगी। ये 10 टीमें एक टीवी सीरीज़ में भी दिखाई देंगी, जिसे नेटवर्क 18 ग्रुप द्वारा प्रोड्यूस किया जाएगा। यह टीवी सीरीज़ अक्टूबर और नवंबर में नेटवर्क 18 के नेशनल चैनलों और ओटीटी प्लेटफॉर्म वूट पर प्रसारित की जाएगी।
टॉप तीन विजेता टीमों को, सैमसंग कुल 1 करोड़ रुपये तक का अनुदान देगा। इस राशि से वे अपने आइडिया को अपने सपनों के स्टार्टअप में बदलने की ओर एक कदम आगे बढ़ाएंगे। उनके ये आइडिया कृषि, शिक्षा, पर्यावरण और हेल्थकेयर के क्षेत्रों में भारत की प्रमुख चिंताओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
श्री पार्थ घोष, हेड, सीएसआर, सैमसंग इंडिया ने कहा, ”हम इन युवा प्रतिभागियों की ओर से प्राप्त हुए बदलाव लाने वाले विभिन्न प्रकार के आइडियाज़ को देखकर पूरी तरह प्रसन्न हैं। जिस बात ने हमें सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह यह है कि ये सभी प्रतिभागी अलग अलग पृष्ठभूमि से और भारत के कोने कोने से आते हैं। एक इनोवेशन ईकोसिस्टम के उदय के साथ आज भारत एक क्रांति के दौर से गुजर रहा है, और यह बदलाव लाने में Gen Z सबसे आगे है। सॉल्व फॉर टुमॉरो, हमारा प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम है। ये प्रोग्राम आगे भी उन युवा प्रतिभाओं का मार्गदर्शन और समर्थन करता रहेगा जो अपने आसपास के लोगों के जीवन को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।”
प्रो. रंगन बनर्जी, डायरेक्टर, आईआईटी दिल्ली ने कहा, “सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो जैसा प्लेटफॉर्म युवा इनोवेटर्स के समुदाय के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत में इनोवेशन इकोसिस्टम को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है और सॉल्व फॉर टुमॉरो ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म है। भारतीय युवाओं में परिवर्तन लाने की क्षमता और इरादा है और हमें यकीन है कि सैमसंग के साथ मिलकर, हम समाज की बेहतरी के लिए यह बदलाव ला सकेंगे।”
टॉप 10 फाइनलिस्ट इस प्रकार हैंः
बैकयार्ड क्रिएटर्स – तमिलनाडु के जुड़वां प्रतिभागी – रमन आर और लक्ष्मणन आर – एक गैर-सर्जिकल अढेसिव हियरिंग डिवाइस विकसित कर रहे हैं जो पारंपरिक हियरिंग एड इंप्लांट्रस से सस्ता है और जोखिम भरी स्कल सर्जरी की जरूरत को खत्म करता है। यह डिवाइस सभी उम्र के लिए उपयुक्त है, खास तौर पर यह बच्चों के लिए भी सुरक्षित है। इसके साथ ही उपचार के बाद बोलने की क्षमता भी प्रदान करता है।
उड़ान – प्रिशा दुबे, अनुप्रिया नायक, और वनालिका कोंवर की लड़कियों की टीम पिछड़ी महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में उनकी मदद करना चाहती है। वर्तमान समय में सैनिटरी पैड महंगे और गैर-बायोडिग्रेडेबल दोनों हैं। ये तीनों लड़कियां गन्ने की खोई का उपयोग कर पर्यावरण के अनुकूल, किफायती और धोकर दोबारा उपयोग किया जा सकने वाला सैनिटरी पैड विकसित कर रही हैं।
अल्फा मॉनिटर – तेलंगाना के हेमेश चडालवाड़ा ने अल्जाइमर रोगियों की निगरानी और उनकी देखभाल करने वालों को उनके व्यवहार में बदलाव के बारे में सचेत करने के लिए एक स्मार्ट रिस्टबैंड विकसित किया है। हिमेश की दादी भी अल्जाइमर की मरीज थीं। डिवाइस रोगी की सेहत से जुड़े मानकों जैसे नाड़ी और रक्तचाप की निगरानी करता है। यदि रोगी बिस्तर से उठकर इधर-उधर भटकने लगे तो एक देखभाल करने वाला और डॉक्टर अपने आप सतर्क हो जाते हैं।
एबल इनोवेशन – महाराष्ट्र के प्रतीक रघुवंशी और आर्यन थोसारीवाल की टीम ने एबल ग्लासेस नामक बहरे, गूंगे और नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए एक स्मार्ट एड सॉल्यूशन विकसित किया है जो उन्हें अपने आसपास के लोगों के साथ बेहतर संवाद करने में मदद करेगा। पेटेंट बोन कंडक्शन ट्रांसड्यूसर तकनीक की मदद से ये ग्लास बधिरों को आवाज सुनने में कदद करता है। बिल्ट-इन कैमरा सेंसर और स्पीकर गूंगे और बेहरे व्यक्तियों के लिए बोलता है। इसे इमेज प्रोसेसिंग और एआई एवं मशीन लर्निंग के साथ जोड़ने से नेत्रहीनों को अपने आसपास की चीजों की कल्पना करने में मदद मिलेगी।
स्पुतनिक ब्रेन – कर्नाटक के शंकर श्रीनिवासन एक वियरेबल डिवाइस विकसित कर रहे हैं जो तनाव को कम करने में मदद करता है। वह घातक तनाव से जुड़ी इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए सेफ ब्रेन मॉड्यूलेशन के माध्यम से आनंद पैदा कर रहा है और एक रासायनिक एवं प्रतिकूल-प्रभाव मुक्त तकनीक की जरूरत को पूरा कर रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए उनका सेफ ब्रेन मॉडुलेशन वियरेबल डिवाइस एफडीए द्वारा तय की गई फ्रिक्वेन्सी, इंटेन्सिटी और पल्स रिपिटेशन अवधि की सीमा के भीतर मस्तिष्क में मूड सेंटर्स तक तरंगों को प्रसारित करता है।
प्लैनेटियर्स – उत्तर प्रदेश की तीन युवतियों – रिया पी डे, निकिता पाठक और अक्षिता गाबा की टीम एक्वेरियम नामक एक ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल का निर्माण कर रही है जो गहरे समुद्र तलों में माइक्रो-नैनो प्लास्टिक का पता लगाने और उन्हें एक एकुमुलेटर में इकट्ठा करने में सक्षम है। .
सीएडी – राजस्थान के रुशिल सारस्वत एक किफायती और पोर्टेबल डिवाइस पर काम कर रहे हैं जो चलते-फिरते किसी व्यक्ति के ईसीजी की निगरानी कर सकता है। यह एक स्मार्टफोन ऐप के माध्यम से एक लाइव अपडेट देता है और यहां तक कि यदि इसे कार्डियक अरिथ्मिया स्थिति का पता चलता है तो एम्बुलेंस और व्यक्ति के कुछ कॉन्टेक्ट को भी कॉल कर सकता है।
बायोपैच – दिल्ली के ऋतिक जायसवाल और अनिमेष कुमार एक ऐसा पैच विकसित कर रहे हैं जिसे कोई भी व्यक्ति अपने कंधे या पेट पर पहन सकता है जिससे उसके ब्लड शुगर के ट्रेंड को ट्रैक किया जा सके और डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सके। एंडोक्रिनोलॉजिस्ट द्वारा उनके प्रोटोटाइप का परीक्षण किया गया है।
स्वर – दिल्ली के तेजस कुमार, सैयद मो. हुसैन और उज्जवल माथुर की टीम ने एक मशीन लर्निंग एम्बेडेड मोबाइल ऐप विकसित किया है जो स्पीच थेरेपी को ऑटोमेट और पर्सनलाइज करता है। यह ऐप क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध है। यह कम कीमत पर 24×7 एक वर्चुअल स्पीच थेरेपिस्ट उपलब्ध करता है। ऐप में, जो बच्चे शब्दों का सही उच्चारण करते हैं, उनका उत्साह अंकों के रिवॉर्ड के साथ बढ़ाया जाता है। यह उन्हें अपनी स्पीच को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है।
जे एन वी फरीदाबाद मान – जवाहर नवोदय विद्यालय, फरीदाबाद के अजय, अक्षय और तरुण की टीम एक व्हीलचेयर विकसित कर रही है जो ऑटोमेशन का उपयोग करके अपने आप बैसाखी में बदल सकती है। इसका उपयोग विकलांग या घायल होने वाले किसी भी व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनने के लिए किया जा सकता है। इसकी मदद से देखभाल करने वालों पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है।
बूट कैंप के अंत में, टीम के टॉप 50 सदस्यों में से प्रत्येक को भागीदारी का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। उन्हें डिजाइन थिंकिंग, एसटीईएम, इनोवेशन और लीडरशिप में ऑनलाइन कोर्सेस के लिए 1 लाख रुपये के वाउचर भी मिले हैं।
अगले छह हफ्तों में, टॉप 10 फाइनल टीमें सैमसंग और आईआईटी दिल्ली के सलाहकारों के साथ काम करेंगी ताकि वे अपने आइडिया को और बेहतर बना सकें और एक प्रोटोटाइप का निर्माण कर सकें जिसे वे फिनाले पिच इवेंट में प्रदर्शित करेंगे। वे गुरुग्राम में सैमसंग इंडिया के मुख्यालय और बेंगलुरु और नोएडा में इसके आरएंडडी सेंटर्स का भी दौरा करेंगे जहां वे सैमसंग के युवा कर्मचारियों और रिसर्चर्स के साथ बातचीत करेंगे। वे बेंगलुरु में प्रतिष्ठित सैमसंग ओपेरा हाउस में सैमसंग प्रोडक्ट ईकोसिस्टम का भी अनुभव प्राप्त करेंगे।
टॉप 10 टीमों को सैमसंग हैम्पर्स दिए जाएंगे, जिसमें आकर्षक सैमसंग प्रोडक्ट शामिल होंगे।
टॉप 3 विजेता टीमों को अनुदान के रूप में कुल 1 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके अलावा, विजेता टीमों को उनके संबंधित स्कूलों और कॉलेजों के लिए 85 इंच का सैमसंग फ्लिप इंटरैक्टिव डिजिटल बोर्ड भी मिलेगा।
अनुदान के साथ, विजेताओं को 6 महीने के लिए आईआईटी दिल्ली के मेंटर्स के साथ काम करने और आईआईटी दिल्ली कैंपस में एक इन्क्यूबेशन सेंटर में जाने का अवसर मिलेगा। इन 6 महीनों के दौरान, वे अपने आइडिया पर काम करेंगे और उन्हें उस स्तर पर ले जाएंगे जहां वे अपने प्रोटोटाइप के लिए ग्राहकों की प्रतिक्रिया भी प्राप्त कर सकते हैं।
सैमसंग इंडिया ने जून 2022 में सॉल्व फॉर टुमॉरो के पहले संस्करण की शुरूआत की घोषणा की थी।
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