सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो के साथ युवा भारत बना बदलाव का अग्रदूत

19-05-2025
Share open/close

कल के लिए समाधान 2025: युवा मस्तिष्कों को समस्याओं को अवसर के रूप में तथा नवाचार को जीवन जीने का तरीका समझने के लिए प्रेरित करना

 

भारत के युवाओं के बीच एक सशक्त परिवर्तन आकार ले रहा है। सैमसंग का “सॉल्व फॉर टुमॉरो” सीज़न 4 जैसे ही पूरे जोश में शुरू हुआ, देशभर के विद्यालयों और महाविद्यालयों में नवाचार की लहर दौड़ गई है। यह अब केवल एक प्रतियोगिता नहीं रही — यह एक आंदोलन बन चुका है, जो युवाओं को न केवल सपने देखने की, बल्कि उन्हें साकार करने का मंच भी दे रहा है।

 

कार्यक्रम की शुरुआत के बाद, सैमसंग ने देशभर में डिज़ाइन थिंकिंग कार्यशालाएँ और ओपन हाउस सत्र आरंभ किए हैं। दिल्ली, गुड़गांव, जयपुर, पटियाला, लुधियाना, पानीपत और अन्य शहरों में अब तक २० से अधिक सत्र आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें विद्यालयों के ३७०० और महाविद्यालयों के ४८०० से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया है।

 

सैमसंग का लक्ष्य है कि यह पहल देश के हर कोने तक पहुँचे — चाहे वह पूर्वोत्तर भारत की पहाड़ियाँ हों या कश्मीर की वादियाँ। पिछले वर्ष यह कार्यक्रम नगालैंड और कश्मीर तक पहुँचा था, और इस वर्ष यह और भी व्यापक रूप ले रहा है।

 

समस्याओं को अवसर में बदलने की सोच

हर कार्यशाला में युवा छात्र-छात्राएँ अपनी जिज्ञासाओं, सपनों और समस्याओं के साथ सामने आ रहे हैं। ओ. पी. जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय में आयोजित एक डिज़ाइन थिंकिंग ओपन हाउस में विद्यार्थियों ने समाज की वास्तविक समस्याओं को गहराई से समझा और उनके समाधान की दिशा में विचार प्रस्तुत किए।

 

विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. आशीष द्विवेदी ने कहा, “‘सॉल्व फॉर टुमॉरो’ छात्रों को वह सोच और दृष्टिकोण देता है जो पारंपरिक कक्षाओं में अक्सर नहीं मिलते — यथार्थ समस्याओं को पहचानना और उनके व्यावहारिक, नवाचारी समाधान खोजना।”

 

छात्रों ने साझा किया कि इन सत्रों ने उन्हें सहानुभूति, सहयोग और समाधान-निर्माण की नई दृष्टि दी।

 

“इस कार्यशाला ने मेरी एक धुंधली सी सोच को स्पष्ट और क्रियान्वयन योग्य समाधान में बदला,” आदित्य नरेश ने कहा।

 

“मैंने सीखा कि किसी समस्या को सुलझाते समय टीम में काम करना और अलग-अलग दृष्टिकोणों को सुनना कितना ज़रूरी है,” रिद्धिमा शर्मा ने कहा।

 

“अब मैं अपने विचारों को पूरे आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत कर सकती हूँ,” सिद्धार्थ पांडेय ने कहा।

 

एक स्कूल में डिज़ाइन थिंकिंग वर्कशॉप के दौरान काम करते युवा दिमाग

 

विद्यालयों में भी जोश से भरे नवप्रवर्तक

दिल्ली के आईटीएल पब्लिक स्कूल की शिक्षिका सुरभि ने कहा, “सैमसंग और आईआईटी-दिल्ली द्वारा आयोजित डिज़ाइन थिंकिंग कार्यशाला बेहद प्रेरणादायक रही। पहले बैच के कई विद्यार्थियों ने मुझसे आवेदन प्रक्रिया में मार्गदर्शन माँगा है।”

 

मदर्स मैरी विद्यालय में कक्षा 9वीं और 10वीं की छात्राएँ अद्भुत विचार लेकर सामने आईं।

आन्या एक ऐसा कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित ऐप बनाना चाहती है, जो पर्यावरण के अनुकूल घरों की डिज़ाइन में मदद करे।

कृतिका एक सस्ता किंडल जैसी डिवाइस बनाना चाहती है जिसमें सभी पाठ्यपुस्तकें डिजिटल रूप से समाहित हों ताकि काग़ज़ की खपत कम हो।

कृति ऐसे स्वास्थ्यवर्धक मासिक धर्म उत्पाद विकसित करना चाहती हैं, जो प्लास्टिक के बिना हों और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर जैसे गंभीर रोगों से सुरक्षा दें।

 

महाविद्यालयों में नवाचार और सामाजिक चेतना का संगम कॉलेजों में भी नवाचार की भावना प्रबल है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय की आर. दीपिका ने कहा, “जब प्रशिक्षक ने कहा कि ‘दुनिया में समस्याएँ बहुत हैं पर समाधानकर्ता कम,’ तो मुझे भी लगा कि मैं उन गिने-चुने समाधानकर्ताओं में होना चाहती हूँ।”

 

बी.ए. के छात्र सावन केसरी ने कहा,  “यह कार्यशाला मेरे लिए एक मार्गदर्शक सिद्ध हुई — मैंने सीखा कि एक स्टार्टअप का विचार कैसे आकार लेता है। मैं ग्रामीण भारत में दूरचिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाना चाहता हूँ।”

 

मुक्ता, जो स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन की छात्रा हैं, ने कहा, “एक छोटी सी सोच भी दुनिया को बदल सकती है। इस कार्यशाला ने मुझे युवा उद्यमिता की भावना से भर दिया।”

 

शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिज़नेस स्टडीज़ की प्राचार्या पूनम वर्मा ने बताया: “हमारे छात्रों के पास करीब 4० स्टार्टअप विचार हैं, जिनमें से 3० को बाहरी स्रोतों से वित्तीय सहायता मिल चुकी है। ‘सॉल्व फॉर टुमॉरो’ जैसे कार्यक्रम उन्हें अपने विचारों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।”

 

नौ शहरों में पहले से ही रोड शो चल रहे हैं, और छात्रों में उत्साह साफ़ देखा जा सकता है क्योंकि वे सॉल्व फॉर टुमॉरो 2025 के लिए आवेदन करने के लिए कतार में खड़े हैं

 

यही है भारत का नवाचार आंदोलन

छात्रों के विचार न केवल स्पष्ट और सशक्त हैं, बल्कि समाज की वास्तविक ज़रूरतों से भी जुड़े हुए हैं —

 

आदित्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहते हैं।

 

रिद्धिमा अपने कस्बे में प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए टिकाऊ विकल्प तैयार कर रही हैं।

 

प्रेरणा सरकारी विद्यालयों के दृष्टिहीन छात्रों के लिए किफ़ायती सहायक उपकरण बनाना चाहती हैं।

 

सिद्धार्थ एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जो किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता जानने में मदद करे और उनकी उपज बढ़ाए।

 

इन जैसे विचारों और ऊर्जा से भरे युवाओं के साथ, ‘सॉल्व फॉर टुमॉरो’ वास्तव में भारत के उज्जवल भविष्य की नींव रख रहा है। आवेदन प्रक्रिया जारी है और देश के कोने-कोने से युवा इसमें भाग ले रहे हैं।

 

यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं — यह युवा भारत का नवाचार अभियान है।

अब बारी है समाधान की।

 

ग्राहक सेवा से संबंधित शिकायतों के लिए, samsung.com/in/support पर जाएं।
मीडिया से जुड़ी जानकारी के लिए, कृपया संपर्क करें corpcommindia@samsung.com

सैमसंग के बारे में ताज़ा ख़बरें देखें

अधिक जानकारी के लिए यहां पढें
Top