सैमसंग AI फोरम 2020: AI के भविष्य की चर्चा में केंद्र बिंदु बनी मानवता

12-11-2020
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हर साल सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स का AI फोरम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की दुनिया में हो रहे आधुनिकतम बदलावों पर चर्चा करने के लिए और इन तकनीकों के विकास की आगे की दिशा के बारे में विचारों को साझा करने के लिए दुनिया भर के विशेषज्ञों को एक मंच पर लेकर आता है।

 

इस 2 और 3 नवंबर को शोधकर्ताओं और इसमें रुचि रखने वाले दर्शकों ने AI के क्षेत्र में होने वाले शोधों से जुड़ी आधुनिकतम घटनाओं को साझा करने और आज की तारीख में AI रिसर्च के सामने मौजूद कुछ सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ मिलकर वर्चुअल फोरम आयोजित किया।

तेजी से बदलती दुनिया में AI का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल

AI टेक्नोलॉजी हाल के वर्षों में तेजी से विकसित हुई है, जिसमें किसी भी तरह उस कड़ी मेहनत का श्रेय कम नहीं है जो दुनिया भर के शिक्षाविदों और कॉरपोरेट शोधकर्ताओं ने साथ मिलकर विविध अनुसंधान परियोजनाओं के लिए की है। लेकिन दुनिया भर में फैली हाल की महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर जो तेज और अहम बदलाव आए हैं, उसके कारण हाल में पूरा ध्यान इस बात पर मुड़ने लगा है कि जीवन की वास्तविक समस्याओं के हल में AI को किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है और इस तरह के समाधान तैयार करने में सबसे प्रभावी तरीके क्या हो सकते हैं।

 

 

सैमसंग एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (SAIT) द्वारा आयोजित फोरम के पहले दिन की शुरुआत सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स में डिवाइस सॉल्यूशंस के सीईओ और वाइस चेयरमैन डॉ. किनैम किम के मुख्य भाषण से हुई जिन्होंने इस वर्ष AI फोरम पर इस टेक्नोलॉजी के भूत, वर्तमान और भविष्य के इर्द-गिर्द होने वाली चर्चा के महत्व को स्वीकार किया। डॉ. किम ने दुनिया में सार्थक वास्तविक प्रभाव छोड़ने वाले उत्पादों और सेवाओं के विकास में वैश्विक शोधकर्ताओं के साथ काम करने की सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रतिबद्धता की पुष्टि भी की।

 

इसके बाद फोरम की पहले दिन की कार्यवाही विश्व के कई प्रमुख आमंत्रित शिक्षाविदों और प्रोफेशनल विशेषज्ञों द्वारा दिए गये आकर्षक व्याख्यानों की शृंखला के साथ आगे बढ़ी। मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर योशुआ बेंजिओ, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की यान लीकुन और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर चेलसी फिन सबसे पहले व्याख्यान देने वाले तीन विद्वान थे, जिसके बाद सैमसंग AI रिसर्चर ऑफ द ईयर अवॉर्ड दिए गये। इस समारोह के बाद SAIT के फेलो प्रोफेसर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉनही हैम, गूगल रिसर्च की डॉ. तारा साईनाथ और माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च की डॉ जेनिफर वोर्टमैन वॉगन ने अपने भाषण दिये।

AI को उसके विकास के अगले चरण तक पहुंचाना

पहले दिन के आमंत्रित व्याख्यानों के बाद एक वर्चुअल लाइव पैनल चर्चा हुई, जिसमें संयोजक की भूमिका सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के वाइस प्रेसिडेंट यंग सैंग चोइ ने निभाया और उसमें भाग लिया प्रोफेसर बेंजिओ, प्रोफेसर लीकुन, प्रोफेसर फिन, डॉ. साईनाथ, डॉ. वोर्टमैन वॉगन और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के सिस्टम LSI बिजनेस के प्रेसिडेंट डॉ. इनियुप कांग ने। डॉ. कांग ने कहा, “फोरम का हिस्सा बनना मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात है। मुझे ऐसा महसूस हो रहा है मानो मैं महान शख्सियतों के विचारों और कार्यों की विरासत का भागी बन रहा हूं।”

 

 

पैनल के सामने कई सवाल रखे गये जिन पर चर्चा के लिए उसने विशेषज्ञों को आमंत्रित किया ताकि गणना से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के तरीके तलाशे जा सकें और AI सिस्टम्स को अगले स्तर पर ले जा कर इस रूप में विकसित किया जा सके कि वे इंसानी दिमाग जितनी समझदारी प्रदर्शित कर सकें। पैनल में शामिल विद्वानों ने स्नायवीय जालों के अनुमापन में बदलाव (न्यूरल नेट स्केलिंग) और नए एल्गोरिद्म की तलाश के आपसी संबंधों को जांचा-परखा, जिसके बारे में डॉ. कांग ने कहा, “हमें दोनों ही तरीकों से कोशिश करनी होगी। इंसानों में सिनैप्स के परिमाण को देखते हुए मुझे इस बात में संदेह है कि मौजूदा तकनीक के बूते हम इंसानों के स्तर की समझदारी हासिल कर सकते हैं। हम जरूर उस स्तर तक पहुंचने में कामयाब होंगे, लेकिन यह भी तय है कि इसके लिए हमें नए एल्गोरिद्म की जरूरत होगी।”

 

प्रोफेसर लीकुन ने इस पर और प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह AI पर होने वाले अनुसंधान की राह में स्केलिंग के मौजूदा तरीके एकमात्र बाधा नहीं हैं। उन्होंने कहा, “इंसानी स्तर, या कहें कि पशुओं की समझदारी के स्तर तक भी पहुंचने की राह में कुछ बड़ी अड़चनें हैं।” उन्होंने जोड़ा कि आने वाले कुछ समय में शायद हम ऐसी मशीनें बनाने में कामयाब हो जाएं, जो कम से कम बिल्ली की तरह के पशुओं जितना स्केल हासिल कर ले। प्रोफेसर फिन ने प्रोफेसर लीकुन से सहमति जताई, “हम अब तक इतनी AI क्षमता भी हासिल नहीं कर सके हैं कि एक कटोरा अनाज तैयार कर लें। ऐसी मूलभत चीजें भी नहीं प्राप्त की जा सकी हैं, जबकि मौजूदा एल्गोरिद्म इसमें समर्थ है।”

 

अपने आमंत्रित व्याखान के विषय का विस्तार करते हुए प्रोफेसर बेंजिओ ने जोड़ा कि जिस तरह इंसान बच्चों के रूप में सीखते हैं, उसी तरह भविष्य के सिस्टम्स में समझदारी देने के लिए एक वर्ल्ड मॉडल विकसित करने की जरूरत है जो बिना निरीक्षण वाले शिक्षण पर आधारित हो। उन्होंने समझाते हुए कहा, “ज्ञान के लिए सक्रियता से प्रयास करने में हमारे मॉडलों को छोटे बच्चों की तरह काम करने की आवश्यकता है।”

 

इसके बाद पैनल चर्चा उन तरीकों पर आगे बढ़ी जिनसे मौजूदा और भविष्य की तकनीकों, इंसानी समझदारी के स्तर की टेक्नोलॉजी इत्यादि के बीच के अंतर को पाटा जा सकता है। इस दौरान लगभग सभी विशेषज्ञ इस बात पर एकमत थे कि इंसानी सिनैप्सेज की तरह काम कर सकने वाले सिस्टम को विकसित करने के लिए अभी काफी काम किया जाना बाकी है। प्रोफेसर बेंजिओ ने आश्वस्त करते हुए कहा, “इस समय जारी कई शोध इन अंतरों को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं।”

 

 

इसके बाद, पैनल ने इस बात पर अपने विचार साझा किए कि AI को ‘ज्यादा तटस्थ’ कैसे बनाया जाए क्योंकि आज विभिन्न समाज इसे लेकर कहीं न कहीं आशंकित महसूस करते हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि सिस्टम्स डेवलपमेंट रिफॉर्म, संस्थागत नियमन और कॉरपोरेट इंटरेस्ट के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। डॉ. वोर्टमैन वॉगन ने सिस्टम बिल्डिंग प्रक्रिया के सभी हिस्सों में विचारों की विविधता को प्रोत्साहित करने का समर्थन किया, “हर किसी को एक ही नतीजा हासिल करने के लिए प्रेरित करने के बजाय मैं मशीन लर्निंग सिस्टम डिजाइन करते वाले लोगों के लिए प्रक्रियाओं को लेकर रेगुलेशन देखना पसंद करूंगा।”

 

पैनल को दिए गये आखिरी सवाल में एंड-टू-एंड मॉडलों के लिए अगला सफल एप्लीकेशन एरिया क्या होगा, इस पर अपने विचार साझा करने का अनुरोध किया गया। डॉ. साईनाथ ने कहा, “एंड-टू-एंड मॉडलों ने भाषणों के भाषांतर के क्षेत्र को विलंबता कम कर और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत को खत्म कर बदल दिया है। इस सफलता के कारण आगे चलकर आप लंबी बैठकों के ट्रांस्क्रिप्शन जैसे उद्देश्यों में एंड-टू-एंड मॉडलों का इस्तेमाल देख सकते हैं। हम हमेशा ‘उन सबको नियंत्रित करने वाले एक मॉडल’ तैयार करने के बारे में बात करते हैं और यह एक रोचक तथा चुनौतीपूर्ण अनुसंधान क्षेत्र है जिसका उस दौर में एंड-टू-एंड मॉडलों की संभावनाओं द्वारा और विस्तार हो गया है जब हम दुनिया की सारी भाषाओं को पहचानने में समर्थ एक मॉडल विकसित करने पर काम कर रहे हैं।”

AI के माध्यम से मानवीय अनुभव का विस्तार

AI फोरम 2020 के दूसरे दिन की मेजबानी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के आधुनिक आरएंडडी केंद्र सैमसंग रिसर्च ने की, जो कंपनी के एंड-प्रोडक्ट कारोबार के लिए भविष्य की तकनीकों के विकास की अगुवाई करता है।

 

 

अपने शुरुआती भाषण में सैमसंग रिसर्च के हेड और प्रेसिडेंट डॉ. सेबेस्टियन सेउंग ने उन क्षेत्रों को रेखांकित किया जिनमें सैमसंग अपने यूजर्स को वास्तविक जीवन में लाभ देने के उद्देश्य से अपने AI अनुसंधान को गति दे रही है। इन क्षेत्रों में ज्यादा पारंपरिक AI क्षेत्र (विजन और ग्राफिक्स, भाषण और भाषा, रोबोटिक्स), ऑन-डिवाइस AI और स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती के क्षेत्र शामिल हैं।

 

AI टेक्नोलॉजी के साथ उन्नत किए गये कई सैमसंग उत्पादों के प्रदर्शन के बाद डॉ. सेउंग ने पुष्टि की कि AI की क्षमताओं को सर्वश्रेष्ठ तरीके से विस्तृत कर सार्थक तरीकों से सच्चे अर्थों में लोगों की मदद करने के लिए शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को एक साथ आकर सर्वश्रेष्ठ तरीकों के समाधान खोजने की जरूरत है।

 

AI के भविष्य को सही परिप्रेक्ष्य में रखा जाना

डॉ. सिउंग के भाषण के बाद दूसरे दिन का फोरम कई आमंत्रित व्याख्यानों की शृंखला के साथ आगे बढ़ा, जिसका केंद्रीय विषय ‘मानव-केंद्रित AI’ था। इस शृंखला में जिन विद्वानों भाग लिया, वे थे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस्टोफर मैनिंग, जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर देवी पारिख, एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुब्बाराव कम्भमपति और सैमसंग रिसर्च के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट डेनियल डी. ली जो न्यूयॉर्क में सैमसंग के AI सेंटर के प्रमुख और कॉर्नेल टेक में प्रोफेसर भी हैं।

 

विशेषज्ञों की बातचीत के बाद एक लाइव पैनल चर्चा हुई, जिसका संयोजन डॉ. सिउंग ने किया। इसमें प्रोफेसर मैनिंग, प्रोफेसर पारिख, प्रोफेसर कम्भमपति और EVP ली ने भाग लिया। डॉ. सिउंग ने चर्चा की शुरुआत उस सवाल से की, जो प्रोफेसर कम्भमपति ने अपने भाषण में उठाया था। यह सवाल AI के विकसित होने पर आंकड़ों की हेराफेरी के जोखिम का रास्ता साफ करने वाले संभावित मसलों पर केंद्रित था। प्रोफेसर कम्भमपति ने इसे समझाते हुए कहा, “जैसे-जैसे AI टेक्नोलॉजी विकसित होती जा रही है, यह महत्वपूर्ण है कि हम धोखाधड़ी की संभावनाओं के प्रति सतर्क रहें और उन मसलों के समाधान पर काम करें जो किसी भी AI सिस्टम्स से असावधानीवश आंकड़ों की हेराफेरी में माध्यम बन सकते हैं।

 

 

डॉ. सिउंग ने उसके बाद वह सवाल पैनल के सामने रखा जिसे पूछने के लिए सबसे ज्यादा दर्शकों की ओर से अनुरोध आया था। यह देखते हुए कि AI अनुसंधान में सबसे ज्यादा व्यावहारिक चुनौती आंकड़े जुटाना होता है, विशेषज्ञों से पूछा गया कि क्या वे मानते हैं कि कंपनियों या शैक्षणिक शोधकर्ताओं को आंकड़ों की हैंडलिंग और उनके प्रबंधन के लिए नये तरीके विकसित करने की जरूरत है। यह स्वीकार करते हुए कि शिक्षाविद अक्सर आंकड़ों को सुरक्षित रखने में मुश्किल अनुभव करते हैं जबकि कंपनियों के पास आंकड़ों की कमी बहुत बड़ी समस्या नहीं होती है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर उन्हें कई तरह की बंदिशों का सामना करना पड़ता है, प्रोफेसर पारिख ने इसके पक्ष में तर्क रखा कि शोध के नवीन तरीकों की आवश्यकता है जिन्हें इस तरह मॉडल किया जाए कि वे ओपन रिसर्च मेथड सहित अपर्याप्त आंकड़ों पर या शिक्षाविदों और उद्योगों के बीच सहयोग पर काम कर सकें। उन्होंने कहा, “बहुत से क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में सार्वजनिक आंकड़े उपलब्ध हैं। कंपनियों से बाहर बैठे शोधकर्ता भी इन आंकड़ों तक पहुंच सकते हैं और इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन इसके बाद AI में आज के सबसे रोचक क्षेत्रों में से कुछ वे हैं जिनके बारे में हमारे पास ज्यादा आंकड़े नहीं हैं- ये कुछ सबसे आधुनिक समस्याओं और उनके समाधान के तरीकों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।”

 

अंतिम सवाल पैनल को एक बार फिर AI फोरम के दूसरे दिन के थीम, ‘मानव-केंद्रित AI’ की ओर ले गया, जहां पैनल के सदस्यों से पूछा गया कि क्या उन्हें भरोसा है कि AI अगले 70 सालों में भी इंसानी समझदारी के स्तर की बराबरी कर पाएगा, क्योंकि यही वह समय अवधि है जो आज तक हमें AI शोध के क्षेत्र में पहुंचने में लगा है। EVP ली ने कहा कि AI को अब भी काफी दूरी तय करनी है, लेकिन 70 साल बहुत लंबा समय होता है। EVP ली ने कहा, “मैं आशान्वित हूं। लेकिन मार्ग में कई बड़ी बाधाएं हैं। इस तरह के उद्देश्य पर शिक्षाविदों और कंपनियों के एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।”

 

प्रोफेसर मैनिंग ने सारांश बताते हुए कहा, “अब ऐसी समस्याएं लगभग खत्म होने लगी हैं, जिन्हें केवल आंकड़ों की बहुलता से सुलझाया जा सकता है। इससे पहले कि हम AI के इस तरह के विकास को विशाल पैमाने पर देखें, जिस क्षेत्र पर हमें जोर देना चाहिए वह है AI सिस्टम्स का उत्पादन जो आम लोगों के लिए काम करता है, न कि सिर्फ बड़े कॉरपोरेशंस के लिए।”

 

सैमसंग AI फोरम 2020 उन सभी सम्मानित विशेषज्ञों को हार्दिक धन्यवाद के साथ समाप्त हुआ, जिन्होंने दो दिवसीय फोरम में हिस्सा लिया और उम्मीद जताई कि अगले साल का फोरम ऑफलाइन हो सकेगा। AI फोरम 2020 के सभी सत्र और आमंत्रित व्याख्यान सैमसंग के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर देखने के लिए उपलब्ध हैं।

कॉरपोरेट > टेक्नोलॉजी

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