20 साल के IIT छात्र की सैमसंग के 23वें फ्लोर की कहानी, उसी की ज़ुबानी

10-07-2017
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आईआईटी मद्रास के छात्र प्रांजल मेहता ने अपने सैमसंग के अनुभव को भारत न्यूज़रूम के साथ साझा किया। प्रांजल को सैमसंग एज प्रतियोगिता जीतकर सैमसंग इंडिया में इंटर्नशिप करने का मौका मिला था।

 

न्यूज़ हेडलाइन- ‘इंजीनियरिंग के छात्रों ने एमबीए उम्मीदवारों को पछाड़कर जीता सैमसंग एज।’ मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। ऐसी प्रतियोगिता जिसे जीतना-नामुमकिन-है-लेकिन-मैं-कोशिश-करूंगा अब मेरी ट्रॉफी शेल्फ पर थी।

 

टॉप बिज़नेस स्कूल्स के छात्रों के समक्ष एक अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग टीम- मैने सैमसंग एज प्रतियोगिता को जीतने का कभी सोचा भी नहीं था। लेकिन इस जीत ने हमें रातों रात कॉलेज का रॉकस्टार बना दिया। कुछ समय के लिए हम तो बी-स्कूल्स के कैंपस में भी फेमस हो गए थे।

 

सैमसंग साउथववेस्ट एशिया के प्रेसिडेंट और सीईओ श्री एच सी हॉन्ग से सैमसंग एज प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार लेते हुए प्रांजल मेहता और उसके साथी

 

सैमसंग एज के विजेताओं को सैमसंग इंडिया में इंटर्नशिप करने का मौका दिया जाना था लेकिन जैसे ही हमारा जीत का उत्साह खत्म हुआ, हमें लगा कि शायद हम इंटर्नशिप के लिए योग्य नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इंटर्नशिप के अवसर सिर्फ बी-स्कूल के स्नातकों के लिए थे, हम तो अंडरग्रेजुएट थे।

 

लेकिन समर इंटर्नशिप 2017 का ऑफर मिलने के बाद मुझे समझ आया कि कुछ कूल कंपनियां अलग तरीके से ही काम करती हैं। मैने इस अवसर को स्वीकार लिया और सैमसंग पे टीम में शामिल हो गया क्योंकि हमें जीत की तरफ ले जाना वाला बिज़नेस केस ‘सैमसंग पे के लिए नेतृत्व रणनीति’ पर ही था।

 

वहीं मेरी टीम के बाकी साथियों ने टेक्नीकल राह पकड़ी और सैमसंग की कोरिया के बाहर सबसे बड़ी R&D सुविधा, सैमसंग R&D इंस्टीट्यूट का हिस्सा बनने का फैसला लिया।

 

मई की चिलचिलाती गर्मी के बीच मैं अपनी इंटर्नशिप के लिए दिल्ली पहुंचा। सैमसंग एज में हिस्सा लेने के बाद, मैं अब दूसरी बार दिल्ली आया था। मैं बहुत उत्साहित था। मैं एक राजस्थानी हूं, जो बेंगलुरु में पला बढ़ा और पिछले दो साल से पढ़ाई के लिए चेन्नई में रह रहा था। मुझे नई जगहों पर जाने का काफी शौक है। ऐसे में अगर किसी ग्लोबल कंपनी में काम करने का मौका मिल जाए, 20 साल की उम्र में आप और क्या चाहोगे !

 

सैमसंग इंडिया में अपने मार्गदर्शक मानस्वी वढेरा और संजय राज़दान के साथ साथ प्रांजल मेहता

 

पेपर वर्क खत्म करने के बाद, मुझे सैमसंग पे की टीम से मिलवाया गया। मेरे गाइड मानस्वी वढेरा एक बेहतरीन मार्गदर्शक बनकर सामने आए। पहले दिन के दूसरे हाफ में ही मुझे सैमसंग अपने घर जैसा लगने लगा।

 

मैने पहले हफ्ते में सैमसंग पे के बारे में सब कुछ जाना। बाकी इटर्न्स की तरह मैं भी काफी उर्जा और विचारों से भरा था लेकिन जल्द ही मैंने समझा सभी विचार या योजनाएं सही नहीं होती। मैने अपनी कई अवधारणाएं सैमसंग पे टीम के सामने रखनी शुरु कीं लेकिन फिर मुझे समझाया जाता था कि ऐसा क्यों नहीं हो सकता और इसके पीछे क्या कारण हैं और हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं। यह एक अद्भुत अनुभव था और इससे मेरे व्यावसायिक कौशल को विकसित होने में मदद मिली।

 

काम में व्यस्त… प्रांजल के मुताबित सैमसंग इंडिया की ज़िंदगी मेहनत और मनोरंजन से भरपूर है

 

मैने नए यूज़ केसिस को ढूंढने में काफी समय लगाया। मैने दुनिया भर के सैमसंग सहयोगियों के साथ इन यूज़ केसिस की तकनीकी और व्यवसायिक दोनों तरह की जांच पर काम किया।

 

सैमसंग पे टीम ने मुझे बेहद ही शानदार तरीके से अपनी टीम का हिस्सा बनाया। टीम के लोग काफी स्नेहशील और सहायक थे। टीम के डायरेक्टर संजय राज़दान द्वारा आयोजित लंच, मेरे लिए कंपनी में बिताए गए कुछ यादगार पलों में से हैं। काम करते वक्त मुझे कभी ऐसा लगा ही नहीं कि सहयोगियों और मेरे बीच में उम्र की कोई बाधा है। कॉर्पोरेट अनुभव पाने और खुद को व्यवसाय के लिए तैयार करने के लिए मैने टीम के कई प्रोजेक्ट्स में काम किया।

 

मैं अब पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि मुझे देश और दुनिया के पूरे पेमेंट परिदृश्य की समझ है। इस इंटर्नशिप के ज़रिए, मुझे कई लोकप्रिय इंडियन स्टार्टअप्स और एमएनसी के दफ्तरों में जाने का मौका मिला, बैठकों का आयोजन किया, प्रस्तुती दी और मोबाइल फोन लॉन्च में भी भाग लिया। इन सबसे मुझे एक बेहतर व्यवसायी बनने में मदद मिली।

 

सैमसंग इंडिया के कूल लाउंज

 

सैमसंग अपने कर्मचारियों को कई और बेहतरीन सुविधाएं देता है- यहां एक कैफेटेरिया है जहां कई तरह के व्यंजन परोसे जाते हैं जैसे इंडियन, कॉन्टिनेन्टल और कोरियन। साथ ही यहां कई कूल लाउंज भी हैं, जहां आप रिलैक्स कर सकते हैं।

 

इसके अलावा, सैमसंग अपने कर्मचारियों को कई रोमांचक ऑफर्स भी देता है। दुर्भाग्यपूर्ण मैं इनका लाभ नहीं उठा पाया, लेकिन मैं गैलेक्सी S8 खरीदकर काफी खुश होता। ज़रा सोचिए कि ये हेडलाइन मेरे कैंपस में कितनी धूम मचाती- ‘प्रांजल किसी और कंपनी के फोन के साथ सैमसंग में इंटर्नशिप करने पहुंचा और गैलेक्सी S8 के साथ लौटा।’ चलिए अगली बार जब मैं यहां पहुंचु, शायद तब मुझे ये विशेषाधिकार मिले।

 

सैमसंग अपने कर्मचारियों (और इंटर्न्स) में अच्छी तरह से निवेश करता है। मैं एक प्रतिष्ठित और सरकार संचालित संस्था से हूं और यहां के होस्टल का खाना ठीक-ठाक होता है। उन मानकों से, यहां की कैन्टीन का खाना बेहद ही स्वादिष्ट है।

 

सैमसंग इंडिया द्वारा आयोजित मास्टर शेफ प्रतियोगिता में प्रांजल मेहता (बीच में)

 

एक और यादगार लम्हा जो मेरे साथ हमेशा रहेगा, वो है मेरा सैमसंग मास्टरशेफ प्रतियोगिता में हिस्सा लेना। मास्टरशेफ में हमने लाजवाब और ललचानेवाले स्प्रिंग रोल्स बनाए थे, जो जज की तारीफ के 3.142 माइक्रोसेकेन्ड्स बाद ही दर्शकों के पेट तक कब पहुंचे पता ही नहीं चला।

 

लेकिन इन भौतिकवादी सुविधाओं से हटकर, दुनिया भर में करोड़ों लोगों की ज़िंदगी तक पहुंचने वाले के साथ और के लिए काम करके मिलने वाली संतुष्टि बेहद ही खूबसूरत है।

 

मेरे पास वापस जाकर अपने दोस्तों को सुनाने के लिए बहुत सी कहानियां हैं। इनमें से एक कहानी ऐसी है जो मैं आप लोगों से शेयर करना चाहूंगा- मैं एक सैमसंग स्टोर में गया और वहां जाकर बताया कि मैं हेड ऑफिस में काम करता हूं और उसके बाद जो मुझे ट्रीटमेंट मिला वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। मैं आशा करता हूं कि सैमसंग भी मेरे काम को लेकर भविष्य में आने वाले इंटर्न्स को मेरी इसी तरह मेरी कहानी सुनाएगा !

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