सैमसंग ने की IIT खड़गपुर के साथ साझेदारी, कैंपस में बनेगी सैमसंग डिजिटल अकादमी

13-10-2017
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सैमसंग इंडिया ने IIT खड़गपुर के साथ इंस्टीट्यूट के कैंपस में सैमसंग डिजिटल अकादमी स्थापित करने का एमओयू साइन किया है। इससे ये साफ होता है कि सैमसंग सरकार के स्किल इंडिया अभियान और डिजिटल इंडिया इनीशियेटिव को मज़बूती देने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

 

दिल्ली के सैमसंग अनुसंधान एवं विकास संस्थान के प्रबंध निदेशक योंगकी ब्यून और IIT खड़गपुर के उप निदेशक, प्रोफेसर श्रीमन कुमार ने किया एमओयू पर हस्ताक्षर

 

 

IIT खड़गपुर का कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग, सैमसंग इनोवेशन लैब को होस्ट करेगा और टाइज़न-आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम के ज़रिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) पर छात्रों को प्रशिक्षित करेगा ताकि वह उद्योग संबंधित कौशल प्राप्त कर पाएं और नौकरी करने के लिए तैयार हो जाएं। टाइज़न एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका उपयोग सैमसंग ने अपने मोबाइल फोन्स, टीवी, रेफ्रिजरेटर और कई स्मार्ट होम अप्लायंस में किया है।

 

 

सैमसंग डिजिटल अकादमी, सैमसंग के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य छात्रों को अत्याधुनिक तकनीक में कौशल बनाकर, डिजिटल डिवाइड और दक्षता के अंतराल को खत्म करने का है। IIT खड़गपुर के साथ की गई इस साझेदारी के तहत अकादमी ने अगले तीन सालों में 100 छात्रों को ट्रेन करने का टारगेट रखा है।

 

 

दिल्ली के सैमसंग अनुसंधान एवं विकास संस्थान के प्रबंध निदेशक योंगकी ब्यून ने कहा, ‘सैमसंग को IIT खड़गपुर के साथ करार करने पर खुशी है, इससे छात्रों को बढ़ते डिजिटल प्रौद्योगिकी बाजार में मदद मिलेगी, खासतौर से इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के लिए जो कनेक्टिविटी का भविष्य है। सैमसंग डिजिटल अकादमी में छात्र आईओटी के ऑपरेटिंग सिस्टम, टाइज़न पर अपने प्रोग्रामिंग स्किल्स को बेहतर बना पाएंगे। हम अगली पीढ़ी के लिए प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में काम करने के लिए और आईओटी के एडवांस्ड रिसर्च क्षेत्रों के विकास में भाग लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इनोवेशन ही भविष्य है और हम सैमसंग में नियमित रूप से छात्रों को अपनी प्रतिभा विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’

 

 

IIT खड़गपुर के निदेशक पार्था प्रतिम चक्रबर्ती ने कहा, ‘हम सैमसंग के साथ इस इनीशियेटिव के लिए काम करके बेहद खुश हैं। इस साझेदारी से हमारे छात्रों को आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उभरते क्षेत्रों में अपने स्किल्स का विकास करने में मदद मिलेगी। इन कोर्सेज़ में भाग लेने वाले छात्र इस अवसर का इस्तेमाल करके स्मार्ट डिवाइसेज़ के दिलचस्प और नए दौर का हिस्सा बन पाएंगे और भविष्य को आकार देंगे।’

 

 

सैमसंग डिजिटल अकादमी का ऐप डेवेलपमेंट का पाठ्यक्रम इस तरीके से तैयार किया गया है ताकि छात्र उसे आसानी से समझ सकें। कोर्स में टाइज़न पर वेब एप्लीकेशन डेवेलपमेंट, परीक्षण करने का तरीका, डीबग करना और टाइज़न से जुड़ी लाइब्रेरी बनाना शामिल है। इस कोर्स को 14 हफ्ते की अवधि में क्लासरूम लेक्चर, असाइनमेंट और लैब रूम सेशन्स, स्व-अध्ययन और छोटी परियोजनाएं के ज़रिए सिखाया जाएगा। प्रैक्टिकल ज्ञान देने के लिए छात्रों को विस्तृत ट्यूटोरियल और लेख्य भी प्रदान किए जाएंगे।

 

 

IIT खड़गपुर के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग की हेड प्रोफेसर सुदेशना सरकार ने कहा, ‘हम सैमसंग के साथ साझेदारी कर अपने विभाग में आईओटी लैब की स्थापना करने के लिए बेहद उत्सुक हैं। इस लैब से छात्रों को टाइज़न ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने का अनुभव मिलेगा और साथ ही आईओटी प्लेटफार्म और एम्बेडेड सिस्टम पर अनुसंधान और ऐप विकास की सुविधा भी मिलेगी।’

 

 

इस साल की शुरुआत में सैमसंग ने सैमसंग डिजिटल अकादमी के इनीशियेटिव के तहत IIT दिल्ली के कैंपस में सैमसंग आईओटी इनोवेशन लैब को लॉन्च किया था। यह लैब उपयोगकर्ताओं के लिए स्मार्ट संचार का निर्माण करने का प्रयास करेगा और फिलहाल इसका फोकस 3 अहम मुद्दों पर रहेगा जिनमें आईआईटी दिल्ली में अनुसंधान, सैमसंग के साथ सहयोगी अनुसंधान और सैमसंग द्वारा दी जाने वाली आईओटी कोर्स/ट्रेनिंग की लैब एक्सरसाइज़ शामिल हैं। आईओटी लैब सेंसर डेटा प्रोसेसिंग, नेटवर्क आर्किटेक्चर और एम्बेडेड इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान करेगा।

 

 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है ?

 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक ऐसा कंसेप्ट है जिसके ज़रिए स्मार्ट डिवाइस जैसे कम्प्यूटर, स्मार्टफोन्स और टैबलेट्स को इंटरनेट से जोड़ा जाता है। इनमें कार, किचन अप्लायंस, हार्ट रेट मॉनिटर, घर के अंदर लगी लाइट्स या फिर ऑफिस की बिल्डिंग, अलार्म क्लॉक और कुछ और गैजेट्स शामिल हैं जिनमें लगे सेंसर्स के ज़रिए डेटा भेजा जा सकता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स का आविष्कार और इसको नाम पीटर टी. लूई ने सितम्बर 1985 में दिया था।

 

 

गार्टनर, इंक. ने भविष्यवाणी की है कि 2017 में करीब 8.4 बिलियन कनेक्टेड चीज़ें इस्तेमाल की जाएंगी, जो 2016 से 31 प्रतिशत ज़्यादा होंगी, और ये आंकड़ा साल 2020 तक 20.4 बिलियन तक पहुंच जाएगा। वहीं सर्विस पर किया जाने वाला खर्च 2017 में करीब 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचेगा।

 

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